Book Title: Shatrunjay Tirthmala Ras ane Uddharadikno Sangraha
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 42
________________ (३ए) ये जन्म प्रमाणो रे ॥ त्रिजु० ॥३॥ संघवी मोती चंद पटणीनु, सुंदर जिनघर सोहे रे ॥ तिहां प्रतिमा जंगणीश कुहारी, हियॉ हरखित होये रे ॥ त्रिजु० ॥ ॥ ४ ॥ श्रीसमेत शिखरनी रचना, कीधी ने नली नाते रे ॥वीश जिनेसर पगलां वंदू, बावीश जिन संघाते ॥ रे त्रिनु० ॥ ५॥ कुशलबाश्नां चोमुखममांहे, सत्तर जिन सोहावे रे ॥ अचलगबना देहरामांहे बत्रीश जिनजी देखावे रे ॥ त्रिजु ॥६॥शाह मूलाना मंझपमांहे, डेनालीश जिनंदो रे ॥ चोवीशवट्टो एक तिहां डे,प्रणम्ये परमानंदो रे ॥ त्रिजु ॥७॥ अष्टा पद मंदिरमा जश्ने, अवधि दोष तजीशरे॥चार आठ दश दोय नमीने, बीजा जिन चालीश रे ॥ त्रिनु० ॥ ॥ ॥ शेठजी सूरचंदनी देहरीमां, नव जिन पमिमा गजे रे ॥ घीया कुंअरजीनी देहरीमां, प्रतिमा त्रएय बिराजे रे ॥ त्रिजु० ॥ ए॥ वस्तुपालना देहरामांहे थाप्या रुषन जिणंद रे ॥ काजस्सग्गिया बे एकत्रीश जिनवर, शंघवी ताराचंद रे ॥ त्रनु० ॥ १० ॥ मेरु शिखरनी उमणामध्ये, प्रतिमा बार जलेरी रे ॥ ना. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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