Book Title: Shatrunjay Tirthmala Ras ane Uddharadikno Sangraha
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 66
________________ ( ६३ ) १ शत्रुंजय गिरि वंदीयें, २ बाहुबली गुणधाम ॥ ३मरुदेव ने ४ पुंमरिक गिरि, ५ रेवतगिरि बिशराम ॥२॥ ६ विमलाचल ७ सिद्धाराजजी, नाम जगीरथ सार ॥ ए ॥ सिद्धक्षेत्र ने १० सहस्रकमल, ११ मुक्तिनिलय जयकार ॥ ३ ॥ १२ सिद्धाचल १३ शतकूट गिरि, १४ ढंक ने १५ कोडी निवास १६ कदंब गिरि १७ लोहित नमो, १० तालध्वज १५ पुण्यराशि ॥ ४ ॥ २० महावल २१ दृढशक्ति सही, ए एकवीशह नाम ॥ साते शुद्धि समाचरी, करीये नित्य प्रणाम ॥ ५ ॥ दग्ध शून्य ने विधि दोष, अतिप्रवृति जेह ॥ चार दोष बंकी जजो, जक्तिनाव गुणगेह ॥ ६ ॥ मा जन्म पामी करी ए, सद्गुरु तीरथ योग ॥ श्रीशुजवीरने शासने, शिवरमणी संयोग ॥ ७ ॥ इति चैत्यवंदनं ॥ ॥ अथ पुंकर गिरिस्तवन प्रारंभः ॥ ॥ वीरजी आया रे (वमलाचलके मेदान, सुरपति जाया रे, समवसरण मंमाण ॥ ए आंकणी बे ॥ देशना देवे वीरजी स्वामि, शत्रुंजय महिमा वर्णवे ताम ॥ जांखे या ऊपर सो नाम, तेहमां जांख्युं रे पुंकर गिरि Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106