Book Title: Shatrunjay Tirthmala Ras ane Uddharadikno Sangraha
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
View full book text
________________
(४३) क्षिण श्रेणीयें ॥ वि० ॥ कहूं जिनघर जिननो साज ॥ न ॥१॥ कुमर नरिंदें करावीयो ॥ वि०॥ धन खरची सार विहार ॥ न० ॥ बावन शिखरें बंदियें ॥ वि० ॥ तिहोंत्तर जिन परिवार ॥ न ॥२॥ वली धनराजने देहरे ॥ वि० ॥ प्रतिमा व सात ॥ न० ॥ देहरे वर्ड मान शेग्ने ॥ वि० ॥ प्रतिमा सात विख्यात ॥ न० ॥ ॥३॥ शाह रवजी राधणपुरी ॥ वि० ॥ तेहनुं जिन घर जोय ॥ न ॥ तिहां पन्नर जिन दीपता ॥ वि० ॥ प्रणमी पातक धोय ॥ न ॥ ४ ॥ तेहनी पासें राजता ॥ वि० ॥ मंदिरमा जिन चार ॥ न० ॥ तिहाथी आगल जोश्य ॥ वि० ॥ अषत रचना सार ॥ न० ॥५॥ जगतशेठजीये कीयो ॥ वि०॥ त्रएय शिखरो प्रासाद ॥ न० ॥ तिहां पन्नर जिन पेखतां ॥ वि० ॥ मुफ परिणति हर आव्हाद ॥ न० ॥६॥ पासें जुवन जिनराजनुं ॥ वि० ॥ तिहां खट्र प्रतिमा धार ॥ न ॥ मूर्जा ऊतारी कीयो ॥ वि० ते हीर बाईयें सार ॥न ॥७॥ कुंअरजी लाधा तणुं ॥ वि० ॥ दीपे देवल खास ॥ न ॥ तेवीश जिनशं था
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org
![](https://s3.us-east-2.wasabisys.com/jainqq-hq/d77f5b417b6fa2c57d66a7fb9addfa339f98acb54905df8abb66d0ee917fbd3b.jpg)
Page Navigation
1 ... 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106