Book Title: Shatrunjay Tirthmala Ras ane Uddharadikno Sangraha
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 52
________________ (४ए) ते अमंद ॥ नमो० ॥ १५ ॥ चौमुख त्रण जे तेहनी ए, प्रतिमा वंदो बार ॥ नमो ॥ रायणतले चनपादिका ए, तिहां एक पमीमा सार ॥ नमो० ॥ १५ ॥ गण धर पाका वंदीयें ए, चउदसयां बावन्न ॥ नमो० ॥ पासें बे देहरी दीपती ए, कीधी धन्य ते जन्न ॥ नमो ॥ १६ ॥ शा हेमचंद शिखरें कीयो ए, जिनमंदिर सुविलास ॥ नमो ॥ तिहां त्रण पमिमा नमुं ए, श्री मनमोहन पास ॥ नमो० ॥ १७॥ आमन साहामा ने देहरां ए, श्रीशांतिनाथना दोय ॥ नमो ॥ एकमां प्रतिमा त्रएय नमें ए, बीजे पचाश तुं जोय ॥ नमो ॥ १७ ॥ मूलकोटमांहे दक्षिण दिशें ए, देहरी त्रय ने जोम ॥ नमो ॥ तिहा प्रतिमा खटू वंदीयें ए, कहे अमृत मद मोम ॥ नमो ॥ १७ ॥ ॥ ढाल आठमी। तपशुं रंग लागो । ए देशी ॥ ॥ उत्तर पूरव वचले नागें, देहरी त्रय सोहावे रे ॥ हरखीने ते थानक फरसे, वरसी समता जावं ॥ एहने सेवोने, हारे तुमें सेवो सहु नर नार॥एहने ॥ एतो मेवो इण संसार ॥ एहण ॥ एतो नवजलतारण Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106