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(५२) चुंजय नेटण आया, तिहां अजित शांति गुण गाया राज ॥ आ॥३॥ तेह तवन महिमाथी जोडे, बिहुं जिनवर वंद्या कोमें राज ॥ आप ॥ तेह मंदिर बे जोमें निरखी, में नेट्या बेहु जिन हरखी राज ॥ ७ ॥४॥ नयर मनोश् तणो जे वासी, मनुं पारेख धर्म अज्यासी राज ॥ आ० ॥ तेणे जिनमंदिर कीधुं साकं, तिहां त्रय प्रतिमाने जुहार राज ॥ आ ॥५॥ एक जुवनमां त्रय जिन राजे, बीजामां नेम विराजे राज ॥ आप ॥ देवल एक देखी पुरित निकंडं, तिहां पास प्रजुने वंषु राज ॥ आण ॥६॥ बावन देहरी पाउल फरती, जिननंदिर शोला करती राज ॥ श्रा० ॥ तेहमां अजित जिनेश्वर राया, में प्रणमीन गुण गाया राज ॥ आ० ॥७॥ न्हाना महोटां जुवन निहाली, सगतीस गण्यां संजाली राज ॥ आ ॥ संख्यायें जिनप्रतिमा नणीयें, पांचशें नेव्याशी गणी राज ॥ आप ॥ ॥ ए तीरथमाला सुविचारी, तुमें यात्रा करो हितकारी राज ॥ ॥ दर्शन पूजा सफली थाये, शुन अमृत नावें गाये
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