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(३७) प्रतिमा बाणुं जी ॥ वली गौतम गणधरनी उवणा, शी तारिफ वखाणुं ॥ ९ ॥ देहरा बाहेर फरती देहरी, चोपन रूमी दीसे जी ॥ तेहमां प्रतिमा एकशो व्याणुं, देखी हियॐ हींसे ॥ हुं ॥ ए॥ नीलडी रायण तरुवर हेठल, पीलमा प्रजुजीना पाय जी ॥ पूजी प्रणमी जावना लावी, ऊलट अंग न माय ॥ हुं० ॥ १० ॥ तस पद हेगल नागमोरनी, मूरति बेहु सोहावे जी ॥ तस सुरपदवी सिझाचलना, माहात्म्य मांहे कनावे ॥ ९० ॥ ११॥ साहमा पुमरिक स्वामी बिराजे, प्रतिमा, बत्रीश गेजी ॥ तेहमां एक बौद्धनी प्रतिमा, टाली नमिये रंगे ॥ ९ ॥ १५ ॥ तिहांयी बाहिर उत्तर पासें, प्रतिमा तेर देदारु जी ॥ एक रूपानी अवर धातुनी, पच तीरथ ने वारू ॥ ९ ॥ ॥१३॥ उत्तर सन्मुख गखधर पगलां, चन्दसया बावननां जी ॥तेहमां शांति जिणंद जुहारी, पूग्या कोम ते मनना ॥हुं० ॥ १४॥ दक्षिण पास सहस कूटने, देखी पाप पलाय जी ॥ एक सहस्स चोवीश जिनेश्वर, संख्याये कहेवाय ॥ हुं ॥ १५ ॥ दश दे मली
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