Book Title: Shatrunjay Tirthmala Ras ane Uddharadikno Sangraha
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 17
________________ (१४) चउदशमो उकार विशाल रे॥ बारतेरोत्तरे सोय क रे, मंत्री बाहमदे श्रीमाल रे ॥ धन्य० ॥ए॥ (प्रति मा जरावी रंगशुं नवी श्री शषन जिणंदरेबीजे शिख रें थपावियो, प्रासाद नयणानंद रे ॥ धन्य॥ १ ॥) बार व्याशीये मंत्री वस्तुपालें, यात्रा शत्रुजय गिरिसा र रे ॥ तिसक तोरणशुं करे, श्री गिरनारे अवतार रे ॥ धन्य० ॥ ए५ ॥ संवत तेर एकोत्तरें,श्री उसवंश शणगार रे ॥ शाह समरो द्रव्य व्यय करे, पंचदश मो उद्धार रे ॥ धन्य० ॥ ए३ ॥ श्रीरत्नाकर सूरीश्वरू, वम तपगह शणगार रे ॥ स्वामी षनज थापीया, समरेशाहे उदार रे ॥ धन्य० ॥ ए४ ॥ ॥ ढाल दशमी ॥ उलालानी देशीमां ॥ ॥जावम समरा उकार, एह वच्चें त्रण लाख सार ॥ ऊपर सहस चोराशी, एटला समकेत वासी ॥ ए५ ॥ श्रावक संघपति हया, सत्तर सहस नावसार जूया ॥ क्षत्रीशोल सहस जाएं, पन्नर सहस विष वखाणुं ॥ ए६ ॥ कणबी बार सहस कहिये, ले खेया नव सहस लहियें ॥ पंच सहस पीस्तालीश, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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