Book Title: Sanskrit Prakrit Jain Vyakaran aur Kosh ki Parampara
Author(s): Chandanmalmuni, Nathmalmuni, Others
Publisher: Kalugani Janma Shatabdi Samaroha Samiti Chapar
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प्राकृत एव अपभ्रश का आधुनिक भारतीय आर्य भाषाओ पर प्रभाव ' डॉ०.महावीर सरन जैन
एम० ए०, डी० फिल०, डी-लिट् स्नातकोत्तर हिन्दी एव भाषा-विज्ञान विभाग, जबलपुर
विश्वविद्यालय, जबलपुर १४. प्राकृत-अपभ्रश का राजस्थानी भाषा पर प्रभाव
डॉ० कृष्णकुमार शर्मा
एम० ए० (हिन्दी, सस्कृत), पी-एच ० डी०, डी-लिट् - ' हिन्दी विभाग, उदयपुर विश्वविद्यालय, उदयपुर १५ संस्कृत, प्राकृत तथा अपभ्रश की आनुपूर्वी मे कोश-साहित्य
डॉ. देवेन्द्रकुमार शास्त्री एम० ए० (हिन्दी), साहित्याचार्य, पी-एच० डी०
हिन्दी विभाग, शासकीय महाविद्यालय, नीमच (म०प्र०) १६ आधुनिक जैन कोश ग्रन्थो का मूल्यांकन
', डॉ. श्रीमती पुष्पलता जैन
एम० ए० (हिन्दी, भाषा विज्ञान), पी-एच० डी०
न्यू एक्सटेन्शन एरिया, सदर, नागपुर १७ १६वी-२०वी शताब्दी के जन कोशकार और उनके कोशो का
मूल्याकन डॉ० नेमीचन्द जन एम० ए० (हिन्दी), पी-एच० डी० सम्पादक तीर्थङ्कर
६५, पत्रकार कॉलोनी, कनाडिया रोड, इन्दौर १८ शब्दकोश की प्राचीन पद्धति
मुनि दुलहराज १६ संस्कृत के जन पौराणिक काव्यो की शब्द-सम्पत्ति
(પદ્મપુરાણ, હરિવશપુરાણ, વિપુરા રત્તરપુરા के संदर्भ मे) डॉ० रमाकान्त शुक्ल एम० ए० (हिन्दी, मस्कृत), साहित्याचार्य, पी-एच० डी० प्राध्यापक स्नातकोत्तर अनुसन्धान हिन्दी विभाग, राजधानी कॉलेज, रिंग रोड, राजा गार्डेन, नई दिल्ली
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