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(४) रक वुद्धके समयमें राज्य करते थे। इससे यह सिद्ध होता है कि महावीर, बुद्धके समकालीन थे और अनुमानतः बुद्ध से जो उनके 'पावा' पुरीमें निर्वाणको प्राप्त होने के पश्चात् भी जीवित रहा, कुछ पहिले हुए थे । परन्तु महावीर बुद्ध की भांति उस मतके व्यवस्थापक न थे जो तीर्थकरके समान उनका सम्मान करता है और न उसमतके प्रारं भिक संचालक थे . ...... उनके पूर्वके पावं नामक २३ वे तीर्थकर जैन धर्मको संस्थापक कहे जानेके अधिक योग्य जान पड़ते है...... ........परन्तु ऐतिहासिक प्रमाणोंके प्रभावमें हम अनुमानसे आगे बढ़नेका साहस नहीं कर सके।" हम डाजोन जार्ज व्युहलर C. 1. EL L.B. Ph.D. का भी प्रमाण देते हैं जो अपनी 'दि जैन्स' नामक पुस्तक पृष्ठ २२-२३ पर लिखते हैं कि
"वौद्धधर्मावलम्बी स्वतः ही जैनियोंके तीर्थकरसंबन्धी कथनकी पुष्टि करते हैं । प्राचीन ऐतिहासिक व्याख्याएं व शिलालेख भी बुद्धको मृत्युको पश्चातको प्रथम पांच शताब्दियोंमें जैन धर्मको स्वतन्त्रताको सिद्ध करते हैं और शिलालेखोंमें कुछ ऐसे हैं जो जैन पुराणोंको केवल कपोल कल्पित गढन्ते ( Fraud ) होनेके कलझसे ही मुक्क नहीं कर देते हैं वरन् उनकी सत्यताके दृढ साक्षी हैं।"
अब इस विषयपर केवल एक दूसरे विद्वान, मेजर