________________
( ४१) समाजका निर्वाचित अर्थ वेढोंका सवा अर्थ नहीं है। जहां तक कि अंग्रेजी अनुवादोंका संबन्ध है यह करीन कयास नहीं है कि चह विल्कुल ही असत्य हों, कारगा कि वे भी प्रसिद्ध हिन्दु वृत्तिकारो आधार पर बने हैं और न सर्व साधारण हिन्दुोंने ही उनको असत्य माना है।
हिन्दूमत के विकामनो भोर ध्यान देते हुये हमारे निगायोंकी शुद्धता प्रत्येक व्यक्तिको विदित हो जावेगी जो निम्नलिखित डाक्यों पर पूरी तरहसे विचार करेगा।
(१) शामे वेद पशु व पुरुष बलिदानका प्रचार करने हैं ।
१२) हिन्दू लोग अब गऊ और मनुष्यके वलिदानके सख्न विरोधी है जो दोनों उनके पूज्य शास्त्रोंमें गोमेध व पुरुषमेधक पवित्र नामोंसे प्रसिद्ध हैं।
(३) अमेघ श्रव विपुल बन्द हो गया है और अज. मेधका भी यही हाल है गोकि वरेका मांस अरमी कुल मूद विश्वासी मनुष्यो द्वारा देवी देवताओं के प्रमन्नार्थ अर्माण किया जाता है।
(४) यासंबन्धी मन अभी तक हिन्दू शास्त्रोंमे शामिल है गोकि यह साफ है कि उनका भाव शब्दाव वढल कर भावार्थ में लगा दिया गया है।
-
-
• देखो फुट नोट नं. २ पुस्तक अतमें ।
देखो फुट नोट नं. ३ पुस्तककै अतमें ।