________________
. (३० ) और पक्षपातसे रंग जाती है, तथापि वह यही मानता है कि - उसकी क्रिया (वाक्य) ईश्वरीय प्रवेशका नतीजा है। एक
पोलिनेशिश भविष्यवक्ताके ईश्वरीय प्रवेशका निम्नलिखित • वर्णन पढ़ने पर लाभदायक ठहरेगा। (देखो टी० एच० हक्सली साहबकी बनाई हुई साइन्स एन्ड होयूट्रडीशन, पृष्ठ ३२४):, ". . ... एक सुअर मारा गया और पकाकर रातको रक्खा
गया और दूसरे दिन केलों और याम (जिमीकन्द के सदश 'पल ) और टांगन जातिको निजी सुरा 'कावा' की ' सामग्रीके साथ ( जो.उनको बहुत प्रिय है ) पादरी (स्याने)
के पास लाया गया। फिर सघ लोग गेरा बांध कर जैसे मामूली कावा पीने के लिये बैठा करते थे, वैठ गये, परन्तु पादरी, ईश्वरका प्रतिरूपक होनेके कारण, सबसे उच्च स्थान “पर बैठा जब कि टांगियोता नार नम्रतापूर्वक ईश्वर के
प्रसन्नार्थ घेरेके बाहर बैठाइन सबके बैठते ही पादरीकी प्रेरित : अवस्था मानीजानी है क्योकि उस ही क्षणसे ईश्वरका प्रवेश
उसमे माना गया है वह बहुत देर तक चुपचाप हाथों को अपने * सामने पडे हुये बैठा रहता है, उनकी अखि नीचेकी ओर ; होती हैं और वह विल्कुन शान्त, क्रियारहित होना है उससमय
जव क भाजन वटता है और कावा तैयार होता है कभी २ मेतावूल लोग उससे पूछ ताछ आरम्भ करते हैं । बाज दफा चह उत्तर देता है और बाज दफ़ा नहीं मगर दोनोंही दशा: ओंमें उसको विन्द रहती हैं। -बहुधा वह खाने और