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धनश्रीसत्यघोषौ च तापसारक्षकावपि । उपाख्येयास्तथा श्मश्रुनवनीतो यथाक्रमम् ॥ ६५ ॥
Verse 65
सामान्यार्थ – धनश्री और सत्यघोष, तापस और कोतवाल और श्मश्रुनवनीत ये पाँच क्रम से हिंसादि पापों में उपाख्यान करने के योग्य हैं - दृष्टान्त देने के योग्य हैं।
The merchant-wife Dhanaśrī, the house-priest Satyaghosa, the tāpasa (practitioner of penance), the guard-policeman (named Yamadaṇḍa), and Śmaśrunavanīta (nickname, meaning ‘butteron-the-moustache ' of one setha Bhavadatta), became symbols of notoriety, in that order, for extreme dereliction of the five small vows (anuvrata).
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