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Verse 100
व्यापारवैमनस्याद्विनिवृत्त्यामन्तरात्मविनिवृत्त्या । सामयिकं बध्नीयादुपवासे चैकभुक्ते वा ॥१०० ॥
सामान्यार्थ - कायादि की चेष्टा और मन की व्यग्रता अथवा कलुषता से निवृत्ति होने पर मन के विकल्पों की विशिष्ट निवृत्तिपूर्वक उपवास के दिन अथवा एकाशन के दिन (और अन्य समय भी) सामयिक को करना चाहिये।
The vow of periodic concentration (sāmayika) should be practised on the days of fasting, half-fasting (and on other days as well) leaving aside all worldly occupations of body and mind, with perfect tranquility.
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