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Ratnakarandaka-śrāvakācāra
सेवाकृषिवाणिज्यप्रमुखादारम्भतो व्युपारमति । प्राणातिपातहेतोर्यो ऽसावारम्भविनिवृत्तः ॥ १४४ ॥
सामान्यार्थ - जो प्राणघात ( जीवहिंसा) के कारण सेवा, खेती तथा व्यापार आदि आरम्भ से निवृत्त होता है वह आरम्भविनिवृत्त प्रतिमा का धारक है।
The householder who, with a view to avoid injury to living beings, refrains from worldly occupations like providing service to others, farming, and trade, is called the arambhavinivṛtta śrāvaka (eighth stage).
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