________________
Verse 93
गृहहारिग्रामाणां क्षेत्रनदीदावयोजनानां च । देशावकाशिकस्य स्मरन्ति सीम्नां तपोवृद्धाः ॥९३ ॥
सामान्यार्थ – गणधरदेवादिक आचार्य (प्रसिद्ध) घर, गली, गाँव और खेत, नदी, वन और योजनों को देशावकाशिक शिक्षाव्रत के क्षेत्र की सीमा स्मरण करते हैं।
Supremely austere ascetics declare that limits are set under the vow of abstaining from activity with regard to region (deśāvakāśikavrata) with reference to a well-known house, street, village, field, river, forest, or yojana-mark (yojana is a unit of length measurement, see page 115 ante).
........................
145