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Ratnakarandaka-śrāvakācāra
संवत्सरमृतुमयनं मासचतुर्मासपक्षमृक्षं च । देशावकाशिकस्य प्राहुः कालावधिं प्राज्ञाः ॥९४ ॥
सामान्यार्थ - गणधरदेवादिक देशावकाशिकव्रत के काल की मर्यादा को एक वर्ष, एक ऋतु (दो माह), एक अयन (छह मास), एक मास, चार मास, एक पक्ष (पन्द्रह दिन) और एक नक्षत्र (चन्द्रभुक्ति की अपेक्षा से एक दिन) कहते
Most excellent ascetics have pronounced the time-limits under the vow of abstaining from activity with regard to region (deśāvakāśikavrata) to consist in a year, two months, six months, one month, four months, a fortnight, or a lunar mansion (can be reckoned as one day, approximately).
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