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पुरुषार्थसिद्ध्युपाय
62.
Wine deludes the mind and a deluded person tends to forget piety; the person who forgets piety commits himsă
without hesitation.
रसजानां च बहूनां जीवानां योनिरिष्यते मद्यम् । मद्यं भजतां तेषां हिंसा संजायतेऽवश्यम् ॥
अन्वयार्थ – (च ) तथा ( बहूनां रसजानां जीवानां ) बहुत से रस से उत्पन्न हुए जीवों की (योनिः ) योनि अर्थात् जीवोत्पत्ति का आधार (मद्यम्) मदिरा ( इष्यते ) कही जाती है (मद्यं भजतां ) मदिरा पीने वाले को ( तेषां ) उन जीवों की (हिंसा अवश्यम् संजायते) हिंसा अवश्य लगती है।
63.
(63)
Wine is the birthplace of many creatures that owe their origination in liquor; those who drink wine, therefore, necessarily commit himsā.
अभिमानभयजुगुप्साहास्यारतिशोककामकोपाद्याः ।
हिंसायाः पर्यायाः सर्वेऽपि च शरकसन्निहिताः ॥
(64)
अन्वयार्थ - ( अभिमानभयजुगुप्साहास्यारतिशोककामकोपाद्याः) अभिमान, भय, ग्लानि, हास्य, अरति, शोक, कामवासना, क्रोध आदि जो सभी दुर्गुण अथवा कषाय हैं, (हिंसायाः पर्यायाः ) हिंसा के पर्याय हैं (च) और ( सर्वे अपि) वे सभी (शरकसन्निहिताः ) मदिरा के निकटवर्ती हैं अर्थात् मदिरा के पास रहते हैं।
64. Pride, fear, disgust, laughter, disliking, grief, sex-passion,
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