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पुरुषार्थसिद्धयुपाय
hiņsā , and the consequence of himsā - one who is engaged in the stoppage of influx must renounce himsā to the best of one's ability.
मद्यं मांसं क्षौद्रं पञ्चोदुम्बरफलानि यत्नेन । हिंसाव्युपरतिकामैर्मोक्तव्यानि प्रथममेव ॥
(61)
अन्वयार्थ – ( हिंसाव्युपरतिकामैः ) हिंसा को छोड़ने की इच्छा करने वाले पुरुषों को (प्रथम एव) सबसे पहले ( यत्नेन) प्रयत्नपूर्वक अथवा सावधानी के साथ (मद्यं) मदिरा ( मांसं) मांस (क्षौद्रं) मधु (पञ्च उदुम्बरफलानि ) पांच उदुम्बर फल (मोक्तव्यानि) छोड़ देने चाहिये।
61. Those who wish to renounce himsā must, first of all, make effort to give up the consumption of wine, flesh, honey, and the five udumbara fruits (the five udumbara trees are Gular, Anjeera, Banyan, Peepal, and Pakar, all belonging to the fig class).
मद्यं मोहयति मनो मोहितचित्तस्तु विस्मरति धर्मम् । विस्मृतधर्मा जीवो हिंसामविशङ्कमाचरति ॥
(62)
अन्वयार्थ - (मद्यं) मदिरा (मनः मोहयति) मन को मूर्छित-बेहोश कर देता है ( मोहितचित्तस्तु) मोहित चित्त वाला पुरुष (धर्मम् विस्मरति) धर्म को भूल जाता है, (विस्मृतधर्मा जीवः) धर्म को भूला हुआ जीव (विशङ्कम् ) बिना किसी प्रकार की शंका के (हिंसाम् आचरति) हिंसा का आचरण करता है।
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