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पुरुषार्थसिद्ध्युपाय sake of safeguarding his vows (uratas), gets fervently garlanded (a gesture to indicate her choice for a husband) by the maiden called 'liberation'.
अतिचाराः सम्यक्त्वे व्रतेषु शीलेषु पञ्च पश्चेति । सप्ततिरमी यथोदितशुद्धिप्रतिबन्धिनो हेयाः ॥
(181)
अन्वयार्थ - (सम्यक्त्वे) सम्यग्दर्शन में (व्रतेषु ) व्रतों में (शीलेषु) शीलों में (पश्च पश्च) पाँच-पाँच ( अतिचाराः) अतिचार होते हैं (इति अमी सप्ततिः) इस प्रकार ये सत्तर अतिचार (यथोदितशुद्धिप्रतिबन्धिनः) जैसी इन व्रत-शीलों की शास्त्रों में शुद्धि बतलाई गई है उसके प्रतिबन्धी अर्थात् उनमें दूषण लाने वाले हैं इसलिये (हेयाः) छोड़ने योग्य हैं।
181. Right belief (1), vows (5), and seelas (8) – seven supplementary vows, seela vratas, comprising three guņa vratas and four sikşā vratas, and sallekhanā – have five transgressions each, totalling seventy. These transgressions should be avoided as they hinder the purity of the observances.
शङ्का तथैव कासा विचिकित्सा संस्तवोऽन्यदृष्टीनाम् । मनसा च तत्प्रशंसा सम्यग्दृष्टेरतीचाराः ॥
(182)
अन्वयार्थ - (शङ्का) जिनेन्द्रदेव द्वारा प्रतिपादित-आगम में शंका करना (तथैव काङ्क्षा) उसी प्रकार व्रतों से सांसारिक फल की वांछा रखना (विचिकित्सा) मुनियों के स्वरूप से एवं पदार्थों से घृणाभाव धारण करना (अन्यदृष्टीनाम् संस्तवः) अन्य दृष्टि-मिथ्यादृष्टियों की स्तुति करना (मनसा तत्प्रशंसा) मन से
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