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विष्णुकान्त शास्त्री राज्यपाल, उत्तरप्रदेश
राजभवन लखनऊ. २२७१३२
संदेश
मुझे यह जानकर अतीव प्रसन्नता हुई कि मुनिकुज्जर चाविका चक्रवर्ती परम पूज्य १०८ भाचार्य आदिसागवजी अंकलीक्रव बाबा लिखित "मायश्चित्त विधाल" नामक ग्रन्थ का प्रकाशन किया जा वहा है।
महाराष्ट्र प्रांत के सांगली जिला के काम अंकली में जन्मे पवम पूज्य आचार्य आदिसागवजी ने भगवान महावीव के सत्य, अहिंसा, प्रेम, एकता और शांति सद्भाव के ग्रावन शन्देश को आगे बढ़ाने का सवाहनीय प्रयास किया है। वस्तुतः भारतीय संस्कृति में जैन धर्म का अपना एक विशिष्ट एवं महत्वपूर्ण स्थान है। जिसमें क्षमा, त्याग, तप, चिन्तन, सव्यावहाब, क्या औव कराणा के साथ ही "अहिंसा पवमोधर्म:" तथा "जियो औवजीने को'का मर्म समझाया गया है।
"प्रायश्चित्त विधान"थ के सफल प्रकाशन हेतु मैं अपनी हार्दिक मंगलकामनाएँ प्रेषित करता हूँ।
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(विष्णुकान्त शास्त्री)
प्रायश्चित्त विधान -७२