Book Title: Prayaschitt Vidhan
Author(s): Aadisagar Aankalikar, Vishnukumar Chaudhari
Publisher: Aadisagar Aakanlinkar Vidyalaya

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Page 124
________________ ww w wwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwww चार भेद उत्तर गुण धारियों के होते हैं । इस प्रकार से ये मुनियों के आठ भेद हो जाते हैं। इन सबके प्रायश्चित्त अलग-अलग होते हैं। यथा - प्रथम मुनि को तीन उपवास, दूसरे को प्रतिक्रमण पूर्वक एक पंच कल्याणक, तीसरे को प्रतिक्रमण पूर्वक तीन उपवास, और चौथे को प्रतिक्रमण पूर्वक एकलघु कल्याणक है। इसी प्रकार अनुक्रम से ऊपर कहा हुआ प्रायश्चित्त उत्तर गुण वालों का होता है। यह एक पंचेन्द्रिय असैनी जीव के बध का प्रायश्चित्त है। यदि ऊपर लिखे आठ प्रकार के मुनियों में से नौ प्राणों वाले असैनी प्राणी का अनेक बार वध हो जाय तो क्रमशः तीन उपवास, एक कल्याणक, दो लघु कल्याणक, तीन पंच कल्याणक कहा गया है। ___ उत्तर गुण को धारण करने वाले साधु अपने प्रमाद से एकेन्द्रियादि चतुरिद्रिय पर्यंत जीवों के गमनागमन को रोकें तो एक कायोत्सर्ग करें। यदि वे असैनी पंचेन्द्रिय का गमनागमन को रोकें लो एक उपवास करें। यदि मूलगुणधारी साधु प्रमाद से एकेन्द्रि आदि चतुरिद्रिय पर्यंत जीवों के गमनागमन को रोके तो एक कायोत्सर्ग से असैनी पंप्रियंका गमनागमन कि तो उपवास तथा जहाँजहाँ पर प्रयत्नाचार व अप्रयत्नाचार के द्वारा एकेंद्रिय या असैनी पंचेन्द्रिय जीवों का गमनागमन को रोकें तो एक कायोत्सर्ग और सैनी पंचेंद्री का गमनागमन रोके तो एक उपवास करें। ___ यदि किसी मुनि से क्रोधादि कषायों से तथा अशुभ कर्म के उदय से अनेक अनर्थों का मूल ऐसा महापात हो जाय तो वे अनुक्रम से एक वर्ष तक निरंतर तेला पारणा मुनि को मारने का है और श्रावक को मारने का छ: महीने तक तेला पारणा करे। बालहत्या, स्त्री हत्या, गौ हत्या हो जाने पर अनुक्रम से तीन महीना, डेढ़ महीना और साढ़े बाईस दिन तक तेला पारणा करे । परमति पाखण्डी के मारने का छ: महीने और उनके भक्त को मारने का तीन महीना तक तेला पारणा करें। नीच के मारने का डेढ़ महीना तेला पारणा करें। ब्राह्मण के मारने का आदि अंत में तेला करें और छ: महीने तक एक उपवास और एक एकाशन करें। क्षत्रिय के मारने का आदि अंत में तेला और तीन महीने तक एकांतर उपवास करें वैश्य प्रायश्चित्त विधान • १२७

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