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प्रथमःपादः।
९३५ ए सूत्रथी भिंगो भिंगारो रूप सिद्ध थाय. सं. शृंगार तेने चालता सूत्रधी सूनो सि थाय पी शषोः सः अतःसे?ः ए सूत्रोश्री सिंगारो रूप थाय. सं. शृगाल तेने चाखता सूत्रथी सूनो सि थाय. पनी शषोः सः कगचज. अतःसे?ः ए सूत्रोथी सिआलो रूप थाप. सं. घृणा तेने चालता सूत्रथी घृनो घि थाय. पनी अंत्यव्यं० ए सूत्रथी घिणा रूप थाय. सं. घुमृण तेने चालता सूत्रथी मृ नो सि थाय. पनी क्लीवेसम् मोनु० ए सूत्रोथी घुसिणं रूप थाय. सं. वृष्ठ-कविः तेने चालता सूत्रथी वृनो वि थाय. पी कगचज. अक्लीवे दीर्घ अंत्यव्यं० ए सूत्रोथी विड-कई रूप सिद्ध थाय. सं. समृधि- सधि- गृद्धि- तेने अडर्डि अनादौ द्वित्वं द्वितीयपूर्व० अंत्यव्यंज० ए सूत्रोथी समिडी इद्धि गिही एवां रूप सिम थाय. सं. कृश- तेने चालता सूत्रथी कृनो कि थाय. पजी शषोः सः अतःसे?ः ए सूत्रोथी किसो रूप सिम थाय. सं. कृशानु- तेने चालता सूत्रथी कि थयो पनी शषोः सः नाणः अक्लीवेसौदीर्घः अंत्यव्यंज. ए सूत्रोथी किसाणू रूप थाय. सं. कृशरा तेने चालता सूत्रे कि थाय. पनी शषोः सः अंत्यव्यं० ए सूत्रोथी किसरा रूप थाय. सं. कृच्छू तेने चालता सूत्रे कि श्राय. पी सर्वत्र रलुक अनादौ० द्वितीयस्यपूर्व० क्लीबेसूम् ए सूत्रोथी किच्छं रूप थाय. सं. तृस तेने चालता सूत्रे तृनो ति थाय. पी सर्वत्र रलुक् अनादौ क्लीबेसम् मोनु० ए सूत्रोथी तिप्पं रूप थाय. सं कृषित तेने चालता सूत्रे कृनो कि थाय. पली शषोः सः कगचज अतःसे?: ए सूत्रोथी किसिओ रूप सिद्ध थाय. सं. नृपः तेने चालता सूत्रे नृनो नि थाय. पठी पोवः अतासेडों ए सूत्रोथी निवो रूप श्राय. सं. कृत्या तेने श्रा चालता सूत्रथी कृनो कि थाय. पनी त्योऽचैत्ये अनादौ० अंत्यव्यंज० ए सूत्रोथी किच्चा रूप थाय. सं. कृति तेने चालता सूत्रे कि कगचज. अक्लीबे अंत्यव्यंजन० ए सूत्रोथी किई रूप पाय. एवी रीते सं. धृतिर्नु धिई रूप थाय. सं. कृप तेने चालता सूत्रे कि श्राय पछी पोवः ए सूत्रे किवो रूप थाय. सं. कृपण तेने चालता सूत्रे कि थाय. पी पोवः अनादौ० अतःसेझैः ए सूत्रोथी किविणो रूप थाय. सं. कृपण-तेने चालता. सूत्रे कि थाय. परी पोवः क्लीबे सम् ए सूत्रोथी किवाणं रूप थाय. सं. वृश्चिक तेने चालता सूने वृनो वि थाय. पठी वृश्चिकेश्चे० कगचज ए सूत्रोथी विञ्चुओ रूप सिद्ध थाय. सं. वृत्ततेने चालता सूत्रे वि थाय. पनी क्लीबे ए सूत्रथी वित्तं रूप सिद्ध थाय. सं. वृत्ति तेने चालता सूत्रे वि थाय. पनी अलीबे अंत्यव्यं० ए सूत्रोथी वित्ती रूप थाय. सं. हृत तेने चालता सूत्रे हि थाय. पनी क्लीबेसम् मोनु० ए सूत्रोथी हिअं रूप थाय. तेवीरीते सं. व्याहृतं तेनुं वाहित्तं रूप थाय. सं. वृंहित ते चालता सूत्रे इ पनी कगचज० अतःसे?ः ए सूत्रोथी विहिओ रूप थाय. सं. वृसी तेने चालता सूत्रे वि थाय. पी अंत्यव्यं० ए सूत्रथी विसी रूप पाय. सं. ऋषि तेने चालतासूत्रे रि थाय. पठी शषोः सः अक्लीबे ए सूत्रोथी रिसी रूप थाय. सं. वितृष्ण तेने चालता सूत्रे ति थाय. पनी कगचज० सूक्ष्मल अतःसे?ः ए सूत्रोथी विइण्हो रूप थाय. सं. स्पृहा तेने चा
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