Book Title: Prakrit Vyakaranam
Author(s): Narmadashankar Damodar Shastri
Publisher: Narmadashankar Damodar Shastri
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द्वितीयः पादः । ॥ ढुंढिका ॥
आम ११ अयुपगम ७१ अव्ययस्य सलुक् याम बदला ११ प्रत्यव्यं बदला वनाली नोणः प्रोदाल्यां पंक्तौ णो ११ अंत्यव्यंजनस्लुक् वणोaara afast वर्त्तते । अनेन वाक्येनान्यस्यांगी कारो ज्ञायते ॥ १७७॥
४३१
टीका भाषांतर. आम ए व्यय अंगीकार अर्थमां प्रवर्त्ते सं. आम तेने अव्ययस्य लुक् ए सूत्रोथी आम एवं रूप थाय. सं. बहला तेने अंत्यव्यं ए सूत्रे बहला रूप थाय. सं. वनाली तेने नोणः ओदाल्यांपंक्तौ अंत्यव्यंजन ए सूत्रोथी वणोली रूप याय. ते वाक्यनो अर्थ एवो याय के श्रावननी श्रेणी घाटी बे. या वाक्यथी अंगीअर्थ जाय बे ॥ १७9 ॥
कार
१७८ ॥
वि-वैपरीत्ये ॥ १७८ ॥ वीति वैपरीत्ये प्रयोक्तव्यम् || एवि हा वणे ॥ मूल भाषांतर. वि ए व्यय विपरीत अर्थमां प्रवर्त्ते बे. जेम - एवि हावणे ए वाक्यमां णवि ए विपरीत अर्थमा अव्यय वे हा ए खेद अर्थे श्रव्यय . सं. वने तेनुं वणे श्राय ॥ १७८ ॥
॥ ढुंढिका ॥
वि ११ वैपरीत्य ७१ वि ११ अव्यय० वि वन ११ नोणः डेम्मिडे: डिस्थाने डे ए मित्यं वणे । हा इति खेदे सा वने न जविष्यति इति वैपरीत्यं ॥ १७८ ॥
टीका भाषांतर. णवि ए अर्थ विपरीत अर्थमां प्रवर्त्ते गवि तेने श्रव्यय० ए सूत्रे वि एवं रूप श्राय. सं. वन तेने नोणः डेम्मिडे: डित्यं ए सूत्रोथी वणे एवं रूप थाय. हा ए व्यय खेद अर्थमां प्रवर्त्ते खेद थाय बे के, ते स्त्री वनने विषे हशे नहीं. अहीं विपरीत अर्थ बे. ॥ १७८ ॥
पुणरुत्त कृतकरणे ॥ १७९ ॥
पुनरुत्तमिति कृतकरणे प्रयोक्तव्यम् ॥ श्रइ सुप्पर पंसुलि बीसदे हिं अंगे हिं पुणरुत्तं ॥
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मूल भाषांतर. पुणरुत्तं ए अव्यय कृतकरण एटले करेलाने फरीवार कर एवा मां प्रवर्त्ते जेम सं. अयिस्खपिति पांसुलेनिःसहै: अंगैः पुनरुक्तं तेनुं "इ सुप्प पंलि सहेदिं पुरुत्त" एवं थाय. तेमां पुनरुतं ए कृतकरण ( पुनरुक्ति) अर्थमां बे.

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