Book Title: Prakrit Vyakaranam
Author(s): Narmadashankar Damodar Shastri
Publisher: Narmadashankar Damodar Shastri

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Page 432
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir द्वितीयःपादः। মহৎ तेने न्मोमः अनादौ चालता सूत्रे नने स्थाने ण निपात थाय. पनी अनादौ द्वितीयतुर्य० क्लीबे सम् मोनु० ए सूत्रोथी जम्मणं रूप थाय. सं. महान् तेने हवः संयोगे चालता सूत्रे निपात थाय अतःसे?: ए सूत्रोथी महन्तो रूप श्राय. सं. भवान् तेने हखः संयोगे बाकी चालता सूत्रे निपात थाय अने अतः से?: ए सूत्रोथी भवंतो रूप थाय. सं. आशिष् तेने शषोः सः अक्लीबे सौ दीर्घः अंत्यव्यं० बाकीचं रूप निपातथी सिघ श्रइ आसीसा एवं रूप थाय. सं. वृहत्तरं तेने ऋतोऽत् कोइ ठेकाणे हनो डो एवो निपात थाय. कगचज० अवर्णो क्लीबे सम् मोनु० ए सूत्रोथी वड्डयरं रूप थाय. सं. हिमोरः तेने कोइ ठेकाणे हने स्थाने भ निपात थाय एटले भिमोर थाय. पनी अतः सेडोंः ए सूत्रथी भिमोरो रूप थाय. को ठेकाणे ल्लने स्थाने ड्डो निपात थाय सं. क्षुल्लक तेने क्षनो ख थाय. ल्लने स्थाने डो निपात थाय. अनादौ० कगचज० अतः सेोंः ए सूत्रोथी खुडओ रूप थाय, सं. गायन एटले घोषवर्णनो आगत अश् उच्चारनुं गायन करावनार तेने चालता सूत्रे गाने स्थाने घा निपात थाय. पनी अतः सेोंः ए सूत्रे घायणो रूप थाय. सं. वड तेने चालता सूत्रे डनो ढो निपात थाय. पनी अतःसेझैः ए सूत्रथी वढो रूप थाय. सं. ककुद तेने कगचज चालता सूत्रे दनो धो निपात थाय. मोनु० अंत्यव्यं० ए सूत्रोथी कउधं रूप थाय. सं. अकांड तेनो अत्थक्क एवो निपात थाय. सं.लज्जावती ए शब्दथी मांडीने साहुली शब्दसुधी था चालता सूत्रे निपात थाय ने ते मूलमांथी जाणी लेवा. पळे सं. गो तेने गव्यउआ ए सूत्रे गोने स्थाने गउ थाय पजी स्वार्थे क प्रत्यय आवे कगचज. अतः सेझैः ए सूत्रोथी गउओ रूप थाय. स. गोला अने गोदावरी तेने कगचज अंत्यव्यं० ए सूत्रोथी गोला गोआवरी एवां रूप थाय. नाषानो शब्द अहित्था तेनो अर्थ विलित, कुपित अथवा श्राकुल एवो थाय. नाषाशब्द लल्लक तेनो अर्थ नीष्मनयंकर एवो श्राय. नाषाशब्द विड्डिर तेनो अर्थ आनक (वाघ) एवो थाय. नाषाशब्द पञ्चड्डिआ तेनो अर्थ क्षरित एटले खरेलुं एवो थाय. जाषाशब्द उप्पेहड तेनो अर्थ उद्भट (उग्र) एवो थाय. नाषाशब्द मडप्फरो तेनो अर्थ गर्व एवो थाय. नाषाशब्द पड्डिच्छिर तेनो अर्थ सरखो एवो थाय. नाषाशब्द अंहिवच्छरो तेनो अर्थ अग्निकार थाय. नाषाशब्द अहमदं तेनो अर्थ आरवाल (आथो-क्वारो) थाय. जाषाशब्द विहडप्फडो तेनो अर्थ व्याकुल थाय. भाषाशब्द अज्जलं तेनो अर्थ हठ थाय. नाषाशब्द हल्लप्फलो तेनो अर्थ अनद थाय. इत्यादि जाणी लेवा. सं. सावकाशं करोति एटले अवकाशसहित करे वा दाति एटले अवकाश आपे ते सावकाशयति कहेवाय. तेने ठेकाणे अवयासइ एवो आदेश पाय. तेवी रीते फुम्फुल्लइ उप्फालेइ इत्यादि रूप जाणी लेवां. सं. कृष्ट एटले पंडित अथवा कुशल सं. मंदरतटपरिपृष्ट तेने कगचज टोडः ए सूत्रोथी मंदरयड एवं थाय. सं. परि उपसर्ग साथे घृष्ट एटले परिघृष्ट एवं रूप ने तेने ष्टस्यानुष्ट ०अनादौद्वितीयतुर्यक्लीबेसम्मोनु०ए सूत्रोथी मंदरतडपरिघ एबुं रूप थाय. सं. तहि वसनिघृष्टानंग तेने कगचज० ऋतोऽत् For Private and Personal Use Only

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