Book Title: Prakrit Vyakaranam
Author(s): Narmadashankar Damodar Shastri
Publisher: Narmadashankar Damodar Shastri

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Page 433
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४३० मागधी व्याकरणम्. खघथ० ष्टस्यानुष्ट्र० अनादौ० द्वितीयतुर्य० नोणः ए सूत्रोथी तद्दिअसनिहट्ठाणङ्ग एवं रूप याय. आर्षमतप्रमाणे यथादर्शने सर्व प्रयोगो विरूद्ध ज बे. जेम-सं. घृष्टा तेनुं घट्टा ने सं. मृष्टाः तेनुं महा एवां रूप याय. सं. विद्वस् ते प्रयोगथी तेनो विउस एवो निपात थाय तेने जस्ास्ङसिदीर्घः जस्शसोलुक् ए सूत्रोधी विउसा रूप याय. सं. श्रुतलक्षणानुसारेण तेने सर्वत्रलुक् शषोः सः कगचज क्षःखः क्वचित्तुझछौ अनादौ० द्वितीयतुर्य० नोणः ए सूत्रोश्री सुअलक्खणाणुसारेण एवं रूप थाय ॥ १७४ ॥ अव्ययम् ॥ १७५ ॥ अधिकारोऽयम् । इतःपरं ये वक्ष्यन्ते थापादसमाप्तेस्तेऽव्ययसंज्ञा झायव्याः ॥ १७५ ॥ मूल भाषांतर. हवे अव्ययनो अधिकार चाले बे. अहींथी जे शब्दो कहवामां श्रवशे ते अव्ययसंज्ञिक जाणवा ॥ १७५ ॥ तं वाक्योपन्यासे ॥ १७६ ॥ तमिति वाक्योपन्यासे प्रयोक्तव्यम् ॥ तं तिस-वंदिमोक्खं ॥ १७६ ॥ मूल भाषांतर. तं ए अव्यय वाक्यना उपन्यासमां प्रयोजाय बे. जेम-सं. त्रिदशबंदिमोक्षः तेनुं तंतिअस-वंदि - मोक्खं ए रूप सिद्ध थाय. ॥ ढुंढिका ॥ त ११ वाक्योपन्यास ११ अव्ययस्लुक् त्रिदशवं दिमोक्षः सर्वत्र लुक् शषोः सः कः खः क्वचित्वकौ कस्य खः श्रनादो द्वित्वं द्वितीयतुर्य पूर्व खक ११ क्वीबे सम् मोनु० तंतिासवं दिमोकं समत्त तिलुक्के हि पसुलुद्धरणं सुद । श्रणुरा विधासी दुरकरकयदहमुहस्सवहं ॥ १ ॥ टीका भाषांतर. उतने स्थाने तं एवो अव्यय वाक्यना उपन्यासमां प्रयोजाय वे. उतने स्थाने अव्ययस्लुक् ए सूत्रे तं एवं रूप थाय. सं. त्रिदशबंदिमोक्षः तेने सर्वत्र शषोः सः क्षःखः कचित्तु अनादौ० द्वितीयतुर्य क्लीबेसम् मोनु० ए सूत्रोथी तिअसर्वदिमोक्खं एवं रूप थाय समन्तति ए गाथा जाणवी ॥ १७६ ॥ आम अभ्युपगमे ॥ १७७ ॥ श्रामेत्यन्युपगमे प्रयोक्तव्यम् ॥ श्रामबदला वणोली ॥ मूल भाषांतर. आम ए अव्यय अंगीकार अर्थमां प्रवर्त्ते जेम सं. आम तेनुं आम एवं रूप याय. बहला एटले घाटी बनाली एटले वननी पंक्ति संवनाली तेनुं वणोली एवं रूप था. बधा वाक्यनो अर्थ एवो थाय के घाटी वननी पंक्ति अंगीकार करी ॥११७॥ For Private and Personal Use Only

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