Book Title: Prakrit Vyakaranam
Author(s): Narmadashankar Damodar Shastri
Publisher: Narmadashankar Damodar Shastri

View full book text
Previous | Next

Page 422
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४रए द्वितीय पादः। ॥ टुंढिका ॥ उपरि ५१ संव्यान १ उपरि वोपरौ उ अ पोवः पस्य वः अनेन सप्रन ११ अतःसेझैः श्रवरिलो प्रावरण मित्यर्थः । पदे उपरि वोपरौ उ अ वक्रादावंतः अनुस्वारः श्रवरिं ॥ १६६॥ टीका भाषांतर. संव्यान अर्थमा रहेला उपरि शब्द की स्वार्थमा ल्ल थाय. सं. उपरि तेने वोपरी पोवः चालता सूत्रे ल्ल प्रत्यय श्राय. अतःसे?: ए सूत्रोथी अवरिल्लो रूप थाय. तेनो अर्थ प्रावरण वस्त्र थाय . पके जो संव्यान अर्थ न होय तो सं. उपरि तेने वोपरौ वक्रादावंतः ए सूत्रोथी अवारं एवं रूप थाय. ॥१६६॥ वो मया ममया ॥१६॥ चू शब्दात्वार्थेमयाडमया इत्येतौप्रत्ययौ जवतः॥जुमया। जमया ॥१६॥ मूल भाषांतर. भ्रू शब्दने स्वार्थमां मया अने डमया एवा प्रत्ययो वाय. सं. भ्रू तेनां भुमया अने भमया एवां रूप थाय. ॥ १६७ ॥ ॥ ढुंढिका ॥ जू ५१ मया ११ डमया ११ जू उर्जूहनूमत्कंडूलवातूले चू जु थनेन मया प्र० ११ सर्वत्ररबुक् अंत्यव्यंग सबुक् जुमया । अनेन ममया श्रमया इति डित्वं ऊबुक् सर्वत्र रखु११यंत्यव्यंजण्सबुक् नमया १६७ टीका भाषांतर. भू शब्द थकी स्वार्थमां मया अने डमया एवा आदेश थाय. सं. 5 तेने उर्दूहनूम० ए सूत्रे भू नो भु श्राय पी चालता सूत्रे मया प्रत्यय थाय पी सर्वत्र अंत्यव्यंज० ए सूत्रोथी भुमया एवं रूप थाय. सं. 5 तेने चालता सूत्रे डमया प्रत्यय आवे पनी डित् प्रत्यय ने तेथी ऊनो लुक् श्राय. सर्वत्र अंत्यव्यं० ए सूत्रोथी भमया एवं रूप थाय. ॥ १६७॥ शनैसो मित्रम्॥१६॥ शनैस् शब्दात्स्वार्थे मित्रम् जवति ॥ सणिश्रमवगूढो ॥ मूल भाषांतर. शनैस् शब्द थकी स्वार्थमां डिअम् प्रत्यय श्रावे. सं. शनैः तेनुं सणि थाय. सं. अवगूढः तेनुं अवगूढो थाय. ॥ १६ ॥ ॥ढुंढिका ॥ शनैस ५१ मिश्रम् ११ शनैस् शपोःसः नोणः अनेन डिअम् प्र० श्यम् इति मित्यं । ऐसलुक् लोकात् सणि। अवगूढ ११श्रतःसेर्मोःश्रवगूढ॥१६॥ टीका भाषांतर. शनैस शब्द की स्वार्थमां डिअम् प्रत्यय आवे सं. शनैस् तेने For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477