Book Title: Prakrit Vyakaranam
Author(s): Narmadashankar Damodar Shastri
Publisher: Narmadashankar Damodar Shastri
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हितीयःपादः।
४१७ अवर्णो क्लीबे सम् मोनु०ए सूत्रोथी कुंकुमपिंजरयं एवु रूप थाय.सं.चंद्र तेने चालता सूत्रे क प्रत्यय थाय. द्रोरोनवा कगचज. अतासेडों: ए सूत्रोथी चंदओ रूप थाय. सं. गगन तेने चालता सूत्रे क प्रत्यय आवे पनी कगचज अवर्णो० नोणः कगचज. डेम्मिडे० ए सूत्रोथी गयणवम्मि एवं रूप थाय. सं. धरणीधरपक्षेद्भातः तेने खघथ० क्षः खः क्वचित्तुझछौ अनादौ० द्वितीयतुर्य० संयोगेख्कोक० कगटड० हवःसंयोगे सर्वत्र अनादौ० द्वितीयतुर्य चालता सूत्रे क प्रत्यय थाय. कग चज० अवर्णो० क्लीबे सम् मोनु० ए सूत्रोश्री धरणीहरपक्खुब्भन्तयं एवं रूप थाय सं. दुःखितः तेने कतिदुरोर्वा खघथ० चालतासूत्रे क प्रत्यय थाय. कगचज० डेम्मि० डित्यं ए सूत्रोथी दुहिअए एवं रूप थाय सं. रामहृदय तेने इत्कृपादौ० कगचज० चालता सूत्रे क प्रत्यय थाय. कगचज० डेम्मिडे ऐ सूत्रोथी रामहिअयऐ एवं रूप थाय. सं. इह तेने चालता सूत्रे क प्रत्यय थाय. कगचज. अवर्णो० बाहुलक अधिकारथी वाखरेमः कगटड ष्टस्यानुष्ट्रा० अनादौ० द्वितीयतुर्य० चालता सूत्रे क प्रत्यय थाय. विंशत्यादेलक कगचज. अहीं बे क प्रत्यय पण थाय. जेम सं. बहुक तेने चालता सूत्रे क प्रत्यय थाय. कगचज ए सूत्रे बने कनो लुक् थाय. अवर्णो० बाहुलक अधिकारथी वाखरेमश्च क्लीबेसम् मोनु० ए सूत्रोथी बहुअयं एवं रूप थाय. अहीं ककारनुं उच्चारण पैशाचिक नाषाने अर्थे वे जेम सं. वदन तेने तदोस्तः दोस्यत् चालता सूत्रे क प्रत्यय थाय. पी डेम्मि ए सूत्रोथी वतनके एवं ककारोच्चारवालुं रूप थाय. तेवीज रीते सं. वदनकं तेनुं वतनक रूप थाय. सं. समर्पि इति तेने मिष्पाद्यकु०सूनत्कास्थाने तूण आदेश थाय. एच्चाका० भविष्यत्सुर्पि०सर्वत्र अनादौ० ए सूत्रोथी समप्पेत्तून एवं रूप थाय. सं. निर्जिताशोकपल्लव तेने सर्वत्र अनादौ० कगचज० चालता सूत्रे डिल्ल प्रत्यय थाय. डित्यं० अलुक लोकात् टा आमोर्णः टाणशस्येत् ए सूत्रोथी निजिआ सोअपल्लविल्लेण एवं रूप थाय. सं. पुरा अथवा पुरस तेने चालता सूत्रे डिल्ल प्रत्यय आवे तेने इल्ल रहे पनी डियं लोकात् अत:से?ः ए सूत्रोथी पुरिल्लो एवं थाय. उल्लना उदाह सं. मम पितृ तेने मेमहमवहंन० चालता सूत्रे डुल्ल थाय तेनो उल्ल थाय पनी डित्यं लोकात् कगचज०अतःसे?: ए सूत्रोथी महपिउल्लओ एवं रूप थाय. सं. मुख तेने खघथ० चालता सूत्रे हुल्ल प्रण थाय. पनी उल्ल रहे डित्यं क्लीबेसम्० मोनु० ए सूत्रोथी मुहल्लं थाय. सं. हस्तौ तेने स्तस्यथो० अनादौ० द्वितीयतुर्य चालता सूत्रे उल्ल थाय लोकातू द्विवचनस्य बहुवचनं० जश शस् ङसिदीर्घः जसूशसोलक ए सूत्रोथी हत्थुल्ला रूप थाय. पदे सं. चंद्र तेने देरोनवा अतःसे?ः ए सूत्रोथी चंदो रूप थाय. सं. गगनं तेने कगचजनोणः क्लीबेसम् मोनु० ए सूत्रोथी गयणं रूप श्राय. सं. इह तेने अव्यय० ए सूत्रे इह थाय. सं. आश्लेष्टुं तेने कगटड ष्टस्यानुष्टे० अनादौ० द्वितीयतुर्य० ए सूत्रोथी आलेटुं रूप थाय. सं. बहु तेने अव्ययस्य० ए सूत्रे बहु रूप थाय. सं. बहुक तेने कगचज० ए सूत्रे बहुअं रूप थाय. सं. मुख तेने खघथ० क्लीबेसम्० मोनु० ए
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