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मागधी व्याकरणम. एत् चालता सूत्रे - नो ट थाय. पजी अनादी अतासेडोः ए सूत्रोथी केवट्टो रूप थाय. सं. वर्ति तेने चालता सूत्रे - नो ट थाय. पनी अनादौ अक्लीबे दीर्घः अंत्यव्यं० ए सूत्रोथी वही रूप थाय. सं. जत तेने चालता सूत्रे तं नोट थाय. पजी अनादौ अतः से?: ए सूत्रोथी जद्दो रूप थाय. वृत् धातु वर्त्तवामां प्रवर्ते तेने प्र उपसर्ग पूर्वे श्रावी ते प्रत्यय लागी व्यंजनादंतेऽत् लोकात् ऋवर्णस्यार ए सूत्रोथी प्रवर्त्तते एवं रूप वाय. पनी तेने चालता सूत्रे तं नोट थाय. अनादौ त्यादीनां ए सूत्रोथी पवदृइ रूप थाय. सं. वर्तुल तेने चालता सूत्रे तं नो ट थाय. पजी अनादी क्लीबे सम् मोनु० ए सूत्रोथी वद्दलं रूप थाय. सं. राजावतक तेने खराणां खरा ए सूत्रे जा नो ज थाय. कगचज अवर्णों चालता सूत्रे ते नोट थाय. अनादौ० कगचज अतः से?: ए सूत्रोथी रायवओ रूप थाय. राजावत नो अर्थ एक जातनुं शारीरिक लक्षण थाय. जे. सं. नर्तकी तेने चालता सूत्रे त्तै नो ट आय. अनादी कगचज अंत्यव्यं० ए सूत्रोश्री नई रूप थाय. सं. संवर्तक तेने चालता सूत्रे तं नो ट बाय. अनादौ कगचज क्लीबे सम् मोनु० ए सूत्रोधी संवद्दि रूप थाय. सं. धूर्त तेने ह्रस्वः संयोगे सर्वत्र अतः सेटः ए सूत्रोथी धुत्तो रूप थाय. सं. कीर्ति तेने ह्रस्वः संयोगे सर्वत्र अक्लीबे सौ दीर्घः अंत्यव्यं० ए सूत्रोथी कित्ती रूप थाय. सं. वार्त्ता तेने हस्वः संयोगे सर्वत्र अंत्यव्यं० ए सूत्रोथी वत्ता रूप थाय. सं. आवर्तन निवर्त्तन तेने सर्वत्र नोणः क्लीबे सम् मोनु० ए सूत्रोश्री आवत्तणं निवत्तणं रूप थाय. सं. प्रवर्तन संवर्तन तेने सर्वत्र० नोण क्ली सम् मोनु० ए सूत्रोथी पचत्तणं संवत्तणं रूप थाय. सं. आवर्तक तेनेः सर्वत्र कगचज अतः सेडोंः ए सूत्रोथी आवत्तिओ रूप श्राय. सं. निवर्तक तेने सर्वत्र कगचज अतः सेडोंः ए सूत्रोथ निवत्तओ रूप थाय. सं. निवर्तित तेने सर्वत्र ए सूत्रे र अपे य बनेनो लोप पाय. पनी कगचज अतः सेोः ए सूत्रोथी निवत्तिओ रूप याय. सं. प्रवर्तक तेने सर्वत्र ए सूत्रे र तथा यनो लोप थाय कगचज अतः सेडोंः ए सूत्रोथी पत्तिओ रूप थाय. सं. संवर्तक तेने सर्वत्र कगचज अतः सेडोंः ए सूत्रोथी संपत्तिओ रूप थाय. सं. वर्तिका तेने सर्वत्र कगचज अंत्यव्यं० ए सूत्रोथी वत्तिआ रूप थाय. सं. वार्तिक तेने सर्वत्र कगचज म्हस्वः संयोगे अतः से? ए सूत्रोथी वत्तिओ रूप श्राय. सं. कार्तिक तेने पूर्ववत् कत्तिओ रूप थाय. सं. किर्तित तेने कगटड सर्वत्र कगचज अनादी अतः सेों: ए सूत्रोथी उक्क त्तओ रूप थाय. सं. कर्तरी तेने सर्वत्र अंत्यव्यं० ए सूत्रोथी कत्तरी रूप थाय. सं. मूर्ति तेने इस्वः संयोगे सर्वत्र अक्लीबे दीर्घः ए सूत्रोथी मुत्ती रूप थाय. से. मूर्त तेने इस्वः संयोगे सर्वत्र अतः सेटः ए सूत्रोथी मुत्तो रूप थाय, सं. महतं तेने इस्वः संयोगे सर्वत्र चालता सूत्रे त नोट थाय. पजी अनादौ० अंत्यव्यं० ए सूत्रोत्री मुहुत्तो रूप थाय. ॥ ३० ॥
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