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पाठ
नियम : पंचमी (पु., स्त्री. नपुं.)
सर्वनाम :
नि. ४२ : (क) पंचमी विभक्ति के एकवचन में अम्ह का ममाओ एवं तुम्ह का तुमाओ रूप बनता है। बहुवचन में आकार एवं 'हितो' प्रत्यय जुडकर अम्हार्हितो एवं तुम्हाहिंतो रूप बनते हैं ।
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(ख) पुल्लिंग सर्वनाम त, इम, क में पंचमी के एकवचन में इन शब्दों के दीर्घ होने के बाद 'ओ' प्रत्यय जुड़ता है। यथा— ताओ, इमाओ, काओ । बहुवचन में 'हितो' प्रत्यय जुड़ता है । यथा-ताहितो, इमाहितो, काहितो ।
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(ग) स्त्रीलिंग सर्वनाम ता, इमा, का पंचमी के एकवचन में ह्रस्व हो जाते हैं तथा उनमें 'तो' प्रत्यय जुडता है। यथा - तत्तो, इमत्तो, कत्तो । बहुवचन में 'हितो' जुड़कर पुल्लिंग के समान रूप बन जाते हैं। यथा-ताहितो, इमाहितो, काहिंतो ।
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पुल्लिंग शब्द :
नि. ४३ : (क) सभी अ, इ एवं उकारान्त पुल्लिंग शब्दों के आगे पंचमी विभक्ति एकवचन में 'तो' प्रत्यय लगता है । जैसे
पुरिस = पुरिसतो, सुधि = सुधित्तो, सिसु = सिसुत्तो आदि ।
(ख) पंचमी बहुवचन में सभी पुल्लिंग शब्द के अ, इ एवं उ दीर्घ हो जाते हैं। उसके बाद 'हिंतो' प्रत्यय लगता है। जैसे
पुरिस = पुरिसाहितो, सुधि = सुधीहिंतो, सिसु = सिसूहिंतो ।
स्त्रीलिंग शब्द :
नि. ४४ : (क) सभी आ, ई, ऊकारान्त स्त्री. शब्द पंचमी एकवचन में ह्रस्व हो जाते हैं। उसके बाद 'तो' प्रत्यय लगता है। जैसे
बाला = बालत्तो, नई = नइतो, बहू = बहुत्तो ।
(ख) पंचमी बहुवचन में सभी स्त्री. शब्द दीर्घ होते हैं तथा उनमें 'हितो' प्रत्यय लगता
है ।
जैसे - बालाहितो, नईहिंतो, बहूहिंतो आदि ।
नपुंसकलिंग शब्द :
नि. ४५ : पंचमी के एकवचन एवं बहुवचन में नपुंसकलिंग शब्दों के रूप उपर्युक्त
पुल्लिंग शब्दों के समान ही बनते हैं जैसे
वारित्तो वारीहिंतो
ए.व. ―णयरत्तो ब.व. - णयराहिंतो
वो । वत्थूहिंतो ।
प्राकृत स्वयं-शिक्षक