Book Title: Prakrit Swayam Shikshak
Author(s): Prem Suman Jain
Publisher: Prakrit Bharati Academy

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Page 247
________________ तव पाठ ७ : पुत्रों से अपमानित पिता की कथा थविरो = बूढा परिणाविऊण = विवाह करके वेमणस्सभावेण = वैमनस्स भाव भिन्नघरा ___= अलग-अलग घरवाले के कारण (न्यारे) वारगो... = वारी निबद्धो = बांध दी गयी अपत्तीए = प्राप्ति न होने से अहिले = अखिल (पूरे) हट्टे = दुकान में . अक्खितेयं = आँखों की रोशनी कंपिरं = काँपता है ... तिरक्करिओ = तिरस्कृत होकर कच्छुट्टियं = लंगोटी निक्कासेहरे = निकाल देते .. करिसिन्ति . = खींचते हैं. उवहसन्ति = मजाक बनाते निव्वहिस्सं = व्यतीत करूं : नित्थरणुवायं = छुटकारे का उपाय चोज्जं = आश्चर्य जराजिण्णो = बुढ़ापे से कमजोर सत्तक्खेत्ताइसुं = सात क्षेत्र आदि में पाहेयं = पाथेय आणावियव्वा = मंगवा देना चाहिए मोइस्स = रख दूंगा रणरणायारपुव्वं = झनकार पूर्वक काहिन्ति = करेंगी। वावरियव = खर्च कर देना चाहिए विस्सारियव्वं = भूलना । अईवनिब्बंधेण = अत्यन्त प्रेम के साथ निति ___ = ले जाती है परिहाणाय = पहिनने के लिए धुविआई ___ = धुले हुए जंहसत्तिं . = यथाशक्ति पच्चप्पइ = लौटा देता है मच्चुकिच्चं '= मृत्यु के कार्य को नाइजणं __रिश्तेदारों को जेमाविऊण . = भोजन खिलाकर वेढिए ___ = लिपटे हुए . पाहाणखंडे . = पत्थर के टुकड़े पाठ ८ : अमांगलिक आदमी की कथा = भोला लहेज्जा = प्राप्त होता था । पउरा ___= नागरिक वडा = वार्ताः . अकम्हा अकस्मात् परचक्कभएण = आक्रमण के भय से समाणो = भोजन करता हुआ नेइज्जमाणं = ले जाते हुए चिच्चा = छोड़कर दच्चा = देकर .. पासिहिरे = देखेंगे वयणजुत्तीए = वचन के उपाय से २०६ प्राकृत स्वयं-शिक्षक

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