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__पाठ ९ : शिल्पीपुत्र की कथा अहेसि = था
सरिच्छो = समान सगासंमि = पास में
निम्मवेइ = निर्माण करना भुल्लं = भूल
सिलाह = प्रशंसा सुहम = सूक्ष्म
खलणं ___ = त्रुटि अमुगाए = अमुक
निम्मवगो = निर्माता सलाहणिज्जो = प्रशंसनीय खुण्णं = खंडित
= अन्यथा नहीं . गुत्तं = गुप्त रुप से वाइऊण = बांचकर
न तरिस्ससि = समर्थ नहीं होंगे सोहणयर = अच्छे से अच्छे कज्ज्करण . = कार्य करने में सण्हं = बारीक . . तल्लिच्छो = तल्लीन होकर मंदूसाहेण = उत्साह कम हो जाने से हुवीअ गयी (हुई)
खामेइ = क्षमा मांगता है
नन्नहा
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पाठ १० : उद्यम का फल
विउसा. . = विद्वान. नांओ. . = न्याय कसिज्जइ = परखना होगा . अववरगे = जेल में नियत्तो " = लौट गया -मुंहा व्यर्थ . जत्तं = यल
कोणगे = कोने में अचयंतो = न त्यागता हुआ पमाई = प्रमादी
अलसा = आलस से नज्जइ
जाना जाता है निअंतिअ = जकड़कर छुट्टउ = छूट जाओ घंसेइ = घिसता है पीलिआणं
= पीड़ितों के लिए आयास
प्रयास रंध ___ = छिद्र कटेण = कष्ट-पूर्वक पहाणो = प्रधान