Book Title: Prakrit Swayam Shikshak
Author(s): Prem Suman Jain
Publisher: Prakrit Bharati Academy

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Page 197
________________ तत्थ य मालवदेसे, अकयपवेसे दुकालडमरेहिं । अत्थि पुरी पोराणा, उज्जेणी नाम सुपहाणा॥४१॥ अणेगसो जत्थ पयावईओ, नरुत्तमाणं च न जत्थ संखा। महेसरा जत्थ गिहे गिहेसु, सचीवरा जत्थ समग्गलोया॥४२॥ . घरे घरे जत्थ रमंति गोरी-गणा सिरीओ अ पए पए अ। वणे वणे यावि अणेगरंभा, रई अ पीई विय ठाणठाणे॥४३ ॥ तीसे पुरीई सुरवरपुरीई अहियाइ वण्णणं काउं। जइ निउणबुद्धिकलिओ, सक्कगुरु चेव सक्केइ ॥४४ ।। तत्थत्थि पहविपालो, पयपालो नामओ अ गणओ अ। .. जस्स पयावो सोमो, भीमो विय सिट्ठदुट्ठजणे॥४५॥ तस्सवरोहे बहदेहसोह अवहरिय गोरिगव्वेवि। . अच्वंतं मणहरणे, निउणाओ दुन्नि देविओ॥४६॥ सोहग्गलडहदेहा, एगा सोहग्गसुन्दरी नामा।... बीया अ रूवसुन्दरी, नामा रूवेण रइतुल्ला ॥४७॥ .. पढमा माहेसरकुलसंभूया तेण मिच्छदिट्ठित्ति। बीया सावअधूया तेणं सा सम्मदिट्ठित्ति॥४८॥ तओ सरिसवयाओ, समसोहग्गाउ सरिसरूवाओ। सावत्तेवि हु पायं, परुप्परं पीतिकलिआआ॥४९ ॥ नवरं ताण मणट्ठियधम्मसरूवं वियारयंताणं । दूरेण विसंवाओ, विसपीऊसेहिं . ,सारिच्छो ॥५० ॥ तओ अ रमंतीओ, नवनवलीलाहिं नरवरेण समं । थोवंतरंमि समए, दोवि सगब्भाउ जायाओ॥५१॥ कन्नगा-सिक्खा. समयंमि पसूयाओ, जायाओ कन्नगाउ दोहिंपि। नरनाहोवि सहरिसो, वद्धावणयं करावेई ॥५२ ।। सोहग्गसुंदरी नंदणाइ सुरसुंदरित्ति वरनाम। बीयाइ मयणसुंदरि, नामं च ठवेइ नरनाहो॥५३ ॥ समये समप्पियाओ, तओ सिवधम्मजिणमयविऊणं । अज्झावयाण रन्ना, ताओ सिवभूतिसुबुद्धिनामाणं ॥५४॥ · १५६ प्राकृत स्वयं-शिक्षक

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