Book Title: Prakrit Swayam Shikshak
Author(s): Prem Suman Jain
Publisher: Prakrit Bharati Academy

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Page 244
________________ गद्य-संकलन माल पाठ १ : भार्या की शील-परीक्षा इन्भो = सेठ अण्णपासंडियदिट्ठी = अन्य पाखंडी मत ___को मानने वाला असब्भं = अश्लील ववहारेण व्यापार के कारण संकेण · = मूल्य भंडं विणिओगं = लेन-देन वोत्तूण कहकर वासगिहं . = शयनकक्ष पइरिक्कं एकान्त चम्मदि . = भुलावा (?) मग्गिओ = खोजा गया अच्छिऊण = रहकर कप्पडिय = कपट वेसछण्णो = वेष धारण . भईए = मजदूरी से किए हुए तुट्ठिदाणं = इनाम, कृपा .. पडिस्सुए = स्वीकार कर . रुक्खाउव्वेय सव्वोउय ___= सब ऋतुओं के कुसलो = . बागवानी में कुशल आवारीए = दुकान में . उम्मत्तिं = प्रशंसा (उन्माद) वीससणिज्जो = विश्वसनीय हीरइ = छुड़ा लिया जायेगा पडिच्छियव्व = स्वीकार किया डिंडी •= राज्याधिकारी जाना चाहिए निच्छुढं = पान की पीक निज्झाइया . = देखी गयी (थूक) उवतप्पामि छत्तीहं मरसाविया =' संतुष्ट करता हूँ पत्थावं = तलाश करूंगा जोगमज्जं = क्षमा कर दी गयी कयंसुपाएहिं = प्रस्ताव = मिलावट वाली शराब = ऑसू गिराने के साथ पाठ २ : ग्रामीण गाडीवान लविय कहावणो कीस . = कहा = मुद्रा (रुपया) = कैसे विक्कायइ घत्तुंपयत्ता ववहारो = बिकाऊ है = ले जाने लगे = झगड़ा खण्ड १ २०३

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