Book Title: Prakrit Swayam Shikshak
Author(s): Prem Suman Jain
Publisher: Prakrit Bharati Academy
________________
जणओ मज्झ आयरं कुणइ ।”
इमं रोहेण पडिवनं। सा वि तह वट्टिउं लग्गा। . अण्णया कया वि रयणिमझे सुत्तुट्ठिओ सो जणगं भणइ–“ताय ! सो एस पुरिसो!"
पिउणा पुटुं—“सो कहिं " त्ति । तओ निययं चेव छायं दंसित्ता भणइ—“इमं पेच्छह ” त्ति।। स विलक्खमणो जाओ, पुच्छइ—“किं सो वि एरिसो आसी?" बालेण 'आम' ति भणियं ।
जणओ चिंतेइ-“अव्वो ! बालाण केरिसुल्लावा !” इय चिंतिऊण भरहो तीइ घणराओ संजाओ।
खण्ड
915
Page Navigation
1 ... 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250