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नि. १०१ : क्रियांतिपत्ति का प्रयोग प्रायः तब होता है जब पूर्व वाक्य में कोई कारण हो और दूसरे वाक्य में उसका फल ।
नि. १०२ : क्रियातिपत्ति से तीन पुरुषों, दोनों वचनों और सभी कालों में क्रिया का एक रूप प्रयुक्त होता है । क्रिया में ज्ज, ज्जा, न्त एवम् माण प्रत्यय विकल्प से जुड़ते हैं। जैसे
पढ + ए + ज्ज
पढ
+ न्त
निर्देश :
पढेज्ज
पढन्तो (पु.)
हो+ज्ज
होज्ज
= होज्जा
'हो + न्त
होतो
= होमाणो
=
जिन क्रियाओं को आपने सीखा है उनके क्रियातिपत्ति रूप बनाइए और
उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए ।
प्राकृत
=
खण्ड १
=
=
पढ़ + ए +
पढ + माण
हो + ज्जा
हो + माण
ज्जा = पढेज्जा = पढमाणो (पु.)
हिन्दी में अनुवाद करो :
तुम ण झाइअं । तुमं तं लिहाविहिसि । सो ममं ण जग्गावउ । जुवईए बाला सयाविज्जइ । पुरिसेण वित्तं पासावी अइ । गुरुणा गाहा ण लिहाविआ । अम्हेहि पत्तं लिहाविज्जइ । तेण तत्थ पढावीअउ । साहू तेण गंथं पढाविऊण सुणइ । जया णामं होज्जा तया अण्णाणं नस्सेज्जा ।
में अनुवाद करो :
हमारे द्वारा नहीं, सुना गया। शिष्य साधु को जगाता है । स्वामी नौकर को सिखायेगा। यह पुस्तक पढ़ने योग्य नहीं है । तुम्हारे द्वारा गीत लिखाया जायेगा । विद्वान् .के द्वारा ग्रंथ पढ़ाया जाना चाहिए। युवती छात्र से लिखवाती है। यदि मैं नहीं पढूँगा तो ज्ञान नहीं मिलेगा।
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