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मू. क्रि.
प्रत्यय
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गिहिऊण
नम
हसिअ
सम्बन्ध कृदन्तः १०. सम्बन्ध कृदन्तों में मूल क्रिया के साथा "ऊण” प्रत्यय के अतिरिक्त निम्नांकित प्रत्यय भी प्रयुक्त होते हैं।
सीखा हुआ रूप वैकल्पिक रूप हसिऊण
हसितुं, हसिउं तुं (3) करिऊण
करिउं, काउं सुणिऊण
सोउं ठविऊण
ठवेउं झाइऊण
झाइत्ता वंदिऊण
वंदित्ता बंधिऊण .
बंधित्ता
गिण्हित्ता चिंतिऊण.
चिंतित्ता उट्ठिऊण
उठ्ठित्ता नम . नमिऊण
नमिअ हसिऊण आरुह - आरुहिऊण
आरुहिय आराह . आराहिऊण
आराहिय परिणाव .. परिणाविऊण
परिणाविय अनियमित सम्बन्ध कृदन्त ददिऊण
दटुं = देखकर • गच्छ गच्छिऊण
• गच्चा = जाकर • कर करिऊण
किच्चा = करके जाण जाणिऊण
णच्चा = जानकर सुणिऊण
सोच्चा = सुनकर दाऊण
दच्चा = देकर · चय चयिऊण
चिच्चा = छोड़कर — सय सयिऊण
सुत्ता = सोकर निर्देश :- सम्बन्ध कृदन्त के ये रूप उच्चारण भेद एवं ध्वनि-परिवर्तन के आधार पर
'प्रयुक्त होते हैं। इनके लिए कोई निश्चित नियम नहीं है। . १२. प्राकृत के कुछ शब्दों में “अ” के स्थान पर “य” का प्रयोग होता है।
जैसे
वअण = वयण (वचन) पाआल = पायाल (पाताल) नअण = नयण (आँख) पआ = पया (प्रजा) नअर = नयर (नगर) जोअण = जोयण (योजन)
सुण
दा.
खण्ड १
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