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आगम-ग्रंथों में......अर्धमागधी की स्थिति
सजातीय व्यंजनों के साथ संयुक्त रूप में आनेवाले कण्ठय और तालव्य अनुनासिक ङ् और के प्रयोग शुबिंग महोदय के संस्करण में यथावत् मिलते हैं परंतु पू. जम्बूविजयजी के संस्करण में इन अनुनासिक व्यंजनों के स्थान पर सर्वत्र अनुस्वार कर दिये गये हैं । यह पद्धति भी एक प्रकार से प्राचीनता को अर्वाचीनता में बदलने की ही है ।
इस तरह से यह साबित होता है कि अलग अलग सम्पादकों ने प्राचीन ग्रंथों के सम्पादन में अपने अलग अलग सिद्धान्त बनाये हैं और ग्रन्थ की प्राचीनता को ध्यान में रखकर प्राचीन भाषा-प्रयोगों को प्राधान्य नहीं दिया हैं । ___ (घ) विभिन्न संस्करणों में अलग अलग ध्वनि-परिवर्तन
वाले शब्द और प्रत्यय (१) आचारांग के पाठ
शुचिंग. आगमोदय । जै.वि.भा. म.ज.वि.के सूत्र नं. ध्वनि-परिवर्तन : क = क, ग, य लोगावाई । लोयावादी ! लोगावाई ! लोगावादी 1.1.1.3 लोगं लोयंलोयं लोग 1.1.3.22 लोगसि लोगंसि लोगंसि । लोगंसि 1.1.1.9 महोवगरणं महावगरणं । महावगरणं महोवकरणं 1.2.4.82 बहुगा बहुगा बहुगा । बहुया
1.2.4.82 उदय- उदय- । उदय - उदय- 1.1.3.26
. १. देखिए मेरा लेख : "प्राचीन प्राकृत में ङ् और बू के परिवर्तन की समीक्षा",
प्राकृत विद्या, जुलाई-दिसम्बर, १९९०.
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