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क्षेत्रज्ञ शब्द को अर्धमागधी रूप
द. (1) 'क्षेत्रज्ञ' शब्द संस्कृत साहित्य में मिलता है और उसके अर्थ
इस प्रकार दिये गये हैंक्षेत्र का जानकार, खेती का जानकार, निपुण, कुशल, आत्मज्ञ,
स्व-चैतन्यज्ञ । (2) पाइयसदमहण्णवो में खयन्न और खेअण्ण का संस्कृत रूप खेदज्ञ दिया गया है और उसके ये अर्थ दिये गए हैं
चतुर, जानकार, निपुण, कुशल । अन्य प्राकृत रूप जो ऊपर दर्शाये गये हैं उनका उल्लेख इस कोश में नहीं है । (3) आगम शब्द-कोश, अंगसुत्ताणि, जैन विश्व भारती संस्करण
में खेत्तण्ण और खेयण्ण दोनों शब्द संस्कृत रूपान्तर क्षेत्र के _ साथ दिये गये हैं । क. इस शब्द के विषय में चूर्णिकार कहते हैं—खित्तं जाणति खित्तण्णा ।
खितं आगास, खित्तं जाणतीति खित्तण्णो, तं तु आहारभूतं दव्वकालभावाणं अमुत्तं च पवुच्चति । मुत्तामुत्ताणि खित्तं च जाणतो पाएण दव्वादीणि जाणइ । जो वा संसारियाणि दुक्खाणि जाणति सो खित्तण्णे पंडितो वा ।
1. (अ) Sanskrit Dictionary by Monier Williams :
knowing localities, familiar with the cultivation
of soil, clever, skilful. dexterous, cunning, .. knowing the body i. e. the soul, the conscious
principle. etc. (ब। क्षेत्रज्ञ -आत्मा (क्षेत्रज्ञ आत्मा पुरुषः) अमरकोषः-1/4/29. 3/3/33/ 2. इसी लेख के विभाग व 13) में 'खेत्तण्ण' शब्द पाटान्तर में आता है । 3. आचारंगसुत्तं, महावीर जैन विद्यालय, पृ० 26, टिप्पण: ; पृ० 39, टि० 10.
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