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18 सुत्तनिपातो. पी. वी. बापट, पूना 1924.
19. सूयगड सुत्त, मुनि जम्बूविजय, म. जै. वि., बम्बई, 1978
20. सूत्रकृतांगसूत्र, भाग-1, मुनि पुण्यविजयजी, प्राकृत टेक्स्ट सोसायटी, 1975 21. Comparative Grammar of the Prakrit Languages by R. Pischel, Motilal Banarasidas, Varanasi, 1965 Historical Grammar of Inscriptional Prakrits, M. A Mehendale, Poona, 1948
23. Ludwig Alsdorf : Kleine Schrifen, Wiesbaden, 1974 24. Pali Literature and Language, W Geiger (B. Ghosh, English), 1968
25. The Prakrit Grammarians, Nitti Dolchi, 1972
हमारे प्रकाशन
1. भारतीय भाषाओं के विकास और साहित्य की समृद्धि में श्रमणों का महत्त्वपूर्ण योगदान, के. आर. चन्द्र, 1979
22
प्राचीन अर्धमागधी की खोज में/ के आर. चन्द्र
2 प्राकृत-हिन्दी कोश, के आर. चन्द्र, 1987
( पाइयसमण्णवो की किंचित् परिवर्तित आवृत्ति )
3.
English Translation of Kouhala's Lilāvai - Kahā, Prof. ST. Nimkar, 1988 4. नम्मयासुंदरी कहा ( श्री महेन्द्रसूरिकृत), हिन्दी अनुवाद सहित, के. आर. चन्द्र, 1989
5. आरामशोभा रासमाला (गुजराती), प्रो. जयंत कोठारी, 1989
6 जैनागम स्वाध्याय, पं. दलसुखभाई मानवणिया 'गुजराती), 1991 100-00
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