Book Title: Prachin Ardhamagadhi ki Khoj me
Author(s): K R Chandra
Publisher: Prakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad

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Page 133
________________ - ११० r ( 1 ) (2) • ( 3 ) प्राचीन अर्धमागधी की खोज में / के. आर. चन्द्र खेयन्न, खेयण्ण, खेतण्ण, खेत्तण्ण, खेतन्न, वित्ता, खेदन्न, खेदण्ण स्वीकृत पाठ और पाठान्तर शब्द का ऐतिहासिक विकास खेतज्ञ, खेतन्न, खेतन्न, खेदन्न, खेयण्ण अध्याय-८ (1) प्रस्तुत वाक्य के हरेक शब्द के विभिन्न पाठों पर चर्चा : (2) "एस धम्मे सुद्धे नितिए सासते समेच्च लोग खेत्तन्नेहि पवेदिते" Jain Education International अध्याय-७ (1) सुत्र मे आउ तेगं भगवया एवमक्खाये' वाक्य के हर शब्द के पाठ 94 पर चर्चा. (2) प्राचीन उपलब्ध पाठ 'द्रुतं मे आउसंतेण भगवता एवमक्खात " 88 For Private & Personal Use Only 90 98 100 106 www.jainelibrary.org

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