Book Title: Prachin Ardhamagadhi ki Khoj me
Author(s): K R Chandra
Publisher: Prakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad

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Page 122
________________ . आचारांग के उपोद्घात के वाक्य का पाठ जहां तक मध्यवर्ती दन्त्य न के लिए मूर्धन्य ण का प्रश्न है यह भी दन्त्य नकार ही होना चाहिए था । न कोण में बदलने की प्रथा ईस्वी सन्के बाद की और वह भी मुख्य तौर से दक्षिण, • पश्चिम और उत्तर पच्छिम भारत की रही है जैसा कि अशोक के शिलालेखों और उसके बाद के शिलालेखों से प्रमाणित हो रहा है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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