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अर्धमागधी आगम-ग्रन्थों की प्राचीनता और उनकी रचना का स्थल
झ. सामंत शब्द का समीप के अर्थ में प्रयोग
अर्धमागधी आगम-साहित्य के कुछ अंग नामक ग्रन्थों मे' 'अदूरसामंते' शब्द का प्रयोग अनेकबार मिलता है जिसका अर्थ है 'दूर नहीं समीप में' । अर्थात् निकट, नजदीक, पास में ।
, गणधर से ( भगवान महावीर के) उपदेश सुनते समय शिष्य जिस प्रकार बैठता है उस विनय-पूर्वक स्थिति के लिए इस शब्द का प्रयोग हुआ है -
नायाधम्मकहाओ - अ. 6 ----
इंदभूई नाम अणगारे अदूरसामंते जाव....। इसी प्रकार के. अन्य उदाहरणों के लिए देखिए -
आगमशब्दकोश, भाग-1, पृ. 55, ई. स. 1980
संस्कृत साहित्य में समन्त और सामन्त दोनों शब्दों के प्रयोग मिलते हैं । वैदिक साहित्य में इनका अर्थ है - पडौस, पास में, नजदीक यानि समीप । परन्तु परवर्ती साहित्य में सामंत शब्द का अर्थ 'अधीन राजा' हो गया । अर्धमागधी साहित्य में यही शब्द समीप के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है । इसके स्थान पर समंत का. प्रयोग नहीं है ।
अशोक के शिलालेखों में पडौसी के लिए धौली, जौगड और कालसी में सामन्त शब्द का प्रयोग है, जबकि शाहबाजगढी और.. 1 अशोक के शिलालेखों से उदाहरण :
(अ) अंतियोकस सामंता लाजाने (धौली, बोगड, न. 2.2) (आ) अंतियोगसा सामता लाजानो (कालसी, न. 2.5) . (इ) अतियोकस्स सम त रजनो (शाहबाजगढी न. 2.6) (ई) ...गस समत रजने (मानसेहरा, न. 26) (उ) अंतियकस सामीप राजानो (गिरनार न. 2.3)
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