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भागम-ग्रथोंमें......अर्धमागधी की स्थिति
द = द, य (उ) पवयमाणा (23), पवदमाणा (42) ध = ध, ह (ऊ) अधे दिसातो (1), अहाओ वा (2) क्ष = क्ख, ह
(ए) (1) दक्षिणाओ वा (2) दाहिणाओ वा, (छ) एक ही संस्करण में अलग-अलग पाठ (1) कभी प्राचीन तो कभी परवर्ती पाठ (अ) आचारांग-प्रथम श्रुतस्कंध
(म. जै. वि.) खेत्तण्ण (32, 79, 104, 176, 210), ग्वेतण्ण (109, 132, 209), खेयण्ण (88, 109)
(शुबिंग) अनितियं (पृ. 22. 7) अनिच्चयं (पृ. 4.30) (जै. वि. भा.) अणितियं (29), अणिच्चयं (113) (म. जै. वि.) अधे (174), अहे (1), तिविधेण...बहुगा (79), तिविहेण...बहुया (82), एगदा (79), एगया (66) (आ) इत्थीपरिन्ना (सूत्रकृतांग 1.4)
आल्सडर्फ महोदय ने इस अध्ययन के पुनः सम्पादन में कभी प्राचीन तो कभी परवर्ती शब्द-पाठ अपनाये हैं:द = द
द = य, अ वदित्ताणं (1.23)
छन्नपएण (1.2) इत्थीवेद (1.23)
वेय (1.20) पादछेज्जाइं (1.21)
निसीयंति (1.3)
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