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प्राचीन अर्धमागधी की खोज में/के आर. चन्द्र (ज) शुबिंग महोदय द्वारा सम्पादित लगभग एक ही काल के दो प्राचीनतम ग्रंथों के शब्द-पाठों में अन्तर आचारांग इसिभासियाई । आचा. इसिमा.
भगवया
अरहता
आयाए
आदाय
तइय.
ततिय
आयाण
आदाण
भवइ
भवति
वाय
विरइ
विरति
अइन्नपवेइयं
वादं आदिण्णवेदेति
सव्वओ सेवए
सव्वतो सेवते
अइवाय । अतिपात
खेयन्न । खित्ततो (झ) लगभग एक ही काल की दो रचनाओं के दो अलगअलग सम्पादकों की अलग अलग संपादन-पद्धति सूत्रकृतांग (आल्सडर्फ)
आचारांग (शुबिंग) आदाय (1.4.1.10) (द) | अइन्नायाणं(अदत्तादानम्) पृ. 3.21 विजाणेहि (14210) (ज) | वियहित्तु (विजहाय) पृ. 3.10
(ट) मध्यवर्ती त के विषय में (1) इसिभासियाई
शुबिंग महोदय के संस्करण में कभी मध्यवर्ती त का लोप और कभी यथावत्
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