________________
प्राचीन अर्धमागधी की खोज में / के. आर. चन्द्र
प्राचीन
क्तकाल का प्रभाव है । प्रश्न यह है कि अर्धमागधी एक प्राकृत भाषा है जो महाराष्ट्री प्राकृत से बहुत पुरानी है । प्राचीन अर्धमागधी आगम साहित्य का सर्जन भारत के पूर्वी क्षेत्र में हुआ है और आगमों की प्रथम वाचना का समय अशोक के शिलालेखों से पूर्ववर्ती है । इन सब मुद्दों को ध्यान में रखते हुए अर्धमागधी भाषा का महाराष्ट्रीकरण हुआ है यह बिना किसी शंका के स्वीकार करना पडेगा । परंतु भाषा के विकास की दृष्टि से यदि प्राचीन पाठ मिलते हो तो उन्हें क्यों नहीं अपनाया जाना चाहिए । ग्रंथों की प्रतियों और चूर्णियों में प्राचीन पाठ मिलते हैं अतः प्राचीनता की सुरक्षा के लिए उन पाठों को अपनाया जाना चाहिए यही इस अध्ययन का निष्कर्ष है ।
३४
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org