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आगम-ग्रंथोंमें......अर्धमागधी की स्थिति
सूत्र नं.
(7) अन्य ग्रंथ में उद्धृत आचारांग का पाठ आचारांग
मूलाराधना की (म. जै. वि.) विजयोदया टीका * उवातिकते
उपातिक्कते अहा
अथा -पाय
-पत्तं मट्टिया
मट्टिगतहप्पगारं
तथाप्पकारं
214 (यथा)
588
(च) एक ही संस्करण में अलग - अलग कालों के शब्दपाठ (1) शुबिंग महोदय द्वारा सम्पादित आचारांग के अन्त में दी गयी शब्द-सूची के अनुसार अलग - अलग शब्द-पाठ
(अ) विज्ञ = विष्णू , बिन्नू ; आर्य = आरिय, अज्ज; अर्थ = अत्थ, अट्ठ; आत्मन् = अत्त, अप्प, आया; अर्हत् = अरहन्त, अरिहा; अधस् = अह, अहे, अहो; आवेश = आवेस, आएस; इत्यादि । (आ) क = ग, य
(i) आगर, आगास, अलग, अप्पग, आहारग ।
(ii) अहिय, अभिसेय, आलइय (आलयिक), आणुगामिय । (इ) ज = ज, य
अजिण, अविजाणओ ।
वियहित्तु (पाठान्तर-विजहित्ता) । (ई) द = द, य
___उदय-निस्सिया । अइन्नायाणं (अदत्तादानम् ) । * आचारांग, प्रस्तावना, पृ. 36-37 ( म जै. वि.)
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