Book Title: Paumchariu me Prayukta Krudant Sankalan
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 13
________________ जब भूतकालिक कृदन्त के प्रत्यय का प्रयोग सकर्मक क्रिया में किया जाता है तब यह कर्तृवाच्य में प्रयुक्त न होकर सिर्फ कर्मवाच्य में प्रयुक्त होता है। कर्मवाच्य में कर्ता तृतीया (एकवचन अथवा बहुवचन) में रखा जाता है। कर्म जो द्वितीया (एकवचन अथवा बहुवचन) में होता है, उसको प्रथमा (एकवचन अथवा बहुवचन) में परिवर्तित किया जाता है तथा भूतकालिक कृदन्त के रूप प्रथमा में परिवर्तित कर्म के अनुसार चलते हैं। जैसे -- नरिंदे सो कोकिओ = राजा के द्वारा वह बुलाया गया नरिंदेण ते कोकिआ = राजा के द्वारा वे बुलाये गये चूंकि भूतकालिक कृदन्त विशेषण की भाँति कार्य करते हैं इसीलिए इनके रूप पुल्लिंग व नपुंसकलिंग में तो अकारान्त शब्दों की ही भाँति प्रयुक्त हो जाते हैं किन्तु स्त्रीलिंग बनाने के लिए कृदन्त में 'आ' प्रत्यय जोड़ दिया जाता है तब कृदन्तवाचक शब्द स्त्रीलिंग बन जाता है और उसके रूप आकारान्त की भाँति प्रयुक्त हो जाते हैं। जैसे - — नरिंदेण सा कोकिआ 3 नरिंदेण ताउ कोकिआउ = 6] अनियमित भूतकालिक कृदन्त - अ/य प्रत्यय के योग से बने हुए भूतकालिक कृदन्त 'नियमित भूतकालिक कृदन्त कहलाते हैं। इसमें मूलक्रिया को प्रत्यय से अलग करके समझा जा सकता है। किन्तु जब अ / य प्रत्यय जोड़े बिना ही साहित्य में भूतकालिक कृदन्त का प्रयोग पाया जाता है तो वे 'अनियमित भूतकालिक कृदन्त कहलाते हैं। इसमें मूलक्रिया व प्रत्यय को अलग नहीं किया जा सकता है। इतना होने पर भी ये विशेषण की भाँति कार्य करते हैं और इनके रूप पुल्लिंग, नपुंसकलिंग अथवा स्त्रीलिंग अर्थात विशेष्य की तरह चलते हैं। जैसे दिण्णो दिया गया, दिण्णी - दी गई। गत्यार्थक क्रियाओं से बने हुए भूतकालिक कृदन्त कर्तृवाच्य व कर्मवाच्य/भाववाच्य दोनों में प्रयुक्त होते हैं। Jain Education International राजा के द्वारा वह बुलायी गयी राजा के द्वारा वे बुलायी गयीं - [ पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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