Book Title: Paumchariu me Prayukta Krudant Sankalan
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 22
________________ क्र. सं. क्रिया 1. अइकमेवि अंचे वि 2. 3. अणुहरेवि 4. अप्पेवि अप्फाले वि 5. (ख) सकर्मक क्रियाओं से बने हुए संबंधक कृदन्त कृदन्तयुक्त - क्रिया + कृदन्त - हिन्दी अर्थ प्रत्यय 6. अप्फाल + एवि अवगण्णेवि अवगण्ण + एवि अवठम्भेवि अवठम्भ + एवि अवयरेवि अवयर + एवि अवयारेवि अवयार + एवि 10. अवरुण्डेवि अवरुण्ड + एवि 11. अवलोएवि अवलोअ + एवि 12. अवहत्थेवि अवहत्थ + एवि 13. अवहरे वि अवहर + एवि 14. अवहरे वि अवहर + एवि 15. अवहारेवि अवहार + एवि 16. अहिणन्देवि अहिणन्द + एवि 17. अहिसारेवि अहिसार + एवि 7. 8. 9. अइकम + एवि अंच + एवि अणुहर + वि अप्प + एवि Jain Education International अतिक्रमण करके 89/8/4 अर्चना करके 14/9/3 अनुभव करके 90/10/1 अर्पित करके 16/11/3 37/2/घ. 23/2/3 65/3/7 9/13/6 24/6/4 14/5/1 2/15/8 1/4/1 5/3/7 28/11/7 23/2/2 85/7/2 5/16/7 5/16/7 9/1/2 68/3/घ. 41/11/10 चांपकर अवहेलना करके पकड़कर अवतरित होकर उतारकर आलिंगन करके देखकर छोड़कर अपहरण करके उपेक्षा करके परित्याग करके अभिनंदन करके अभिषेक करके अभिषेक करके 18. अहिसिंचेवि अहिसिंच + एवि 19. पूछकर आउच्छेवि आउच्छ + एवि 20. आणेप्पिणु आण + एप्पिणु 21. आपेक्खेवि आपेक्ख + एवि देखकर लाकर पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन ] सन्दर्भ For Personal & Private Use Only [15 www.jainelibrary.org

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