Book Title: Paumchariu me Prayukta Krudant Sankalan
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 39
________________ सकर्मक क्रियाओं से बने हुए हेत्वर्थक कृदन्त के वाक्य-प्रयोग 1. सो उच्चेलेवि णीसरिय। 6/2/4 - वह घूमने के लिए निकली। जिणालाइं वन्देप्पिणु एन्तु णियवि तेण माल घत्तिय। 6/2/5 - जिन मन्दिरों की वन्दना के लिए आते हुए देखकर उसके द्वारा माला डाल दी गई। 3. फहरन्तइं धयइं वेणि बन्धण होसन्ति। 15/2/8 - फहराती हुई ध्वजाएं वेणि बाँधने के लिए होंगी। 4. सुकेसेण रिउ पणासेवि पयाणउ। 15/8/घ. - सुकेश के द्वारा शत्रु को नष्ट करने के लिए कूच किया गया। 5. सो पहु मुयवि पभणइ। 15/13/घ. - वह स्वामी को छोड़ने के लिए कहता है। 6. गेण्हेवि णरिन्दें णरिन्द गइन्हें गइन्द आहउ। 25/16/8 - पकड़ने के लिए राजा से राजा हाथी से हाथी आहत किये गये। 7. अण्णोण्णेण दलेवि दलवट्टिउ। 35/13/2 - एक दूसरे को चूर-चूर करने के लिए चूर चूर हुए। 8. कूवारु सुणेप्पिणु धण पेक्खेप्पिणु राएँ वलेवि पलोइयउ। 37/3/घ. - क्रन्दन सुनकर स्त्री को देखने के लिए राजा के द्वारा मुड़कर देखा गया। 32] [पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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