Book Title: Paumchariu me Prayukta Krudant Sankalan
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

View full book text
Previous | Next

Page 86
________________ 2. भरह-बाहुबलि-रिसह काल-भुअंगें गिलिया। 5/12/घ. ___ - भरत, बाहुबलि और ऋषभ कालरूपी नाग द्वारा निगल लिये गये। 3. तेण जे गूढपुरिस पट्टविय ते तक्खणेण-पडीवा आय। 16/1/1 ___- उसके द्वारा जो गुप्तचर भेजे गये थे वे तुरन्त वापिस आ गये। 4. परिओसें तिण्णि वि उच्चलिय। 6/13/10 - परितोष के साथ तीनों ही चले। 5. अण्ण कलस अण्णेहिं उच्चाइय। 2/5/6 - अन्य कलश अन्यों के द्वारा उठा लिये गये। 6. तें दन्तिहे वे वि दन्त उप्पाडिय। 25/17/9 ___ - उसके द्वारा हाथी के दोनों ही दाँत उखाड दिये गये। 7. धवल संख पूरिय। 2/4/2 - सफेद शंख फूंक दिये गये। 8. के वावीस परीसह विसहिय । 24/4/6 - किसके द्वारा बाईस परीषह सहन किये गये? 9. तं णिसुणेवि वे वि साहणइँ ओसरिया। 4/9/3 - यह सुनकर दोनों ही सेनाएँ हटायी गई। 10. अहमिन्दहुँ आसणाइँ चलिय। 3/4/9 ___- अहमिन्द्रों के आसन चलायमान हुए। 11. अमरेहिँ णिय-णिय जाणइँ सज्जिय। 3/5/1 ___ - देवों के द्वारा अपने-अपने यान सजाये गये। 12. जिणेण विहि मि भवान्तराइँ वज्जरियइँ। 5/7/10 - जिन के द्वारा दोनों के ही जन्मान्तर बताये गये। 13. णं अट्ठ वि कम्मइँ णिज्जिय। 32/11/7 - मानो आठों ही कर्म जीत लिये गये। पउमचरिउ में प्रयुक्त कृदन्त-संकलन ] [79 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122